भाषण है, भाषण का क्या

ओम माथुर
ओम माथुर
राजनीति मे आदर्श और विचारधारा बस भाषण देने के लिए ही होते हैं। सत्ता मिलते ही हवा हो जाते हैं। उत्तरप्रदेश मे भाजपा ने टिकट वितरण मे साबित कर दिया की उसकी कथनी और करनी मे भी उतना ही अंतर है, जितना दूसरी पार्टिओ मे। अपनी पार्टी के नेताओँ के बेटो,बेटियो और बहुओ के साथ ही दलबदलू को भी खूब टिकिट दिए हैं। खुद पीएम मोदी भी इसे नही रोक पाये। बस यही कहकर रह गए नेता अपने परिजनों के लिए टिकट नही मांगें। ये वो ही भाजपा है, जो कांग्रेस पर परिवारवाद को आरोप लगाती थी। अब खुद इसकी गिरफ़्त मे है। कई राज़्यों मे भी भाजपा के कई परिवार राजनीति मे पनप रहे हैं।
और इन नेताओ की आस्था और विचारधारा भी टिकट के लिए रातोरात कैसे बदल जाती है। जिस पार्टी को कोसते हैं, उसमे शामिल होकर उसीके कसीदे पढ़ने मे शर्म नही आती। केवल टिकट चाहिए,उसके लिए कुछ भी छोड़ सकते हैं। यही चरित्र हो गया है हमारी राजनीति की। बेचारे कार्यकर्ता दरी उठाते रह जाते हैं और वक्त आने पर टिकट नेताओं के रिश्तेदार और चमचे ले उडते हैं।

error: Content is protected !!