कुछ पल और …

नहीं जाना चाहता मैं तुम से दूर
कुछ पल और तुम्हारे पास रहने दो

खोने के डर से
पाने के शिखर तक
उस वीरान बस्ती से
इस अनजान शहर तक

जो कुछ भी पाया
सब कुछ तुम्हारा है …

यादों की लहर में बहने दो …
कुछ पल और तुम्हारे पास रहने दो …

अविस्मरणीय पल हो
निर्मल जल हो

बरसों की भटकन
तपस्या का फल हो

मुझे न रोको आज
मुझे मन की बात कहने दो

कुछ पल और तुम्हारे पास रहने दो
कुछ पल और तुम्हारे पास रहने दो …

नरेश ‘मधुकर’

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