आओ फिर से दीप जलाये

आओ फिर से दीप जलाये , पर नया अटल कहा से लाए ?
चोरो और अँधेरा छाया ,लील गया मेरे भारत को ।
सब ने मिलकर अपनाया है ,बईमानी के महारत को ।
लूट लूटेरे ले गये ,और घूम रहे है मस्ती में ।
कोई सत्य बोलने वाला नही है,इस अन्धो की बस्ती में ।
भा ज पा के पटल पर ,अब कोई अटल नही है ।
जो देश की नाव को पार लगा देगा ।
आओ फिर से दीप जलाये,नये अटल को ढूंढ़ कर लाये ।
जो जंग तलवारों के नई धार लगा देगा ।

 

-महेन्द्र सिंह

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