भारत में न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादों का बाजार

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’
दुनिया ने भारत को एक ऐसी बड़ी शक्ति के रूप में देखना शुरू कर दिया है जो विकासशील देशों के बीच उच्च क्रय शक्ति रखने वाली सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत में निजी संपत्ति के साथ लोगों की प्रति व्यक्ति आय पिछले एक दशक में बढ़ी है, जो जीवन में बेहतर बदलाब आने का मुख्य कारण है। अस्वस्थ जीवन-शैली, खानपान की आदतों में बदलाव, शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव का बढ़ता स्तर, और एक ही जगह दिनभर बैठने वाली नौकरियों में शामिल लोगों की बढ़ती संख्या ने जीवन-शैली से सम्बंधित बीमारियों की घटनाओं में वृद्धि की है। ये बीमारियां न तो संक्रमण से फैलती हैं और न ही आनुवंशिक होती हैं, इन्हे जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियां कहा जाता है। अनिद्रा, जंक फूड के सेवन और गैजेट्स के बढ़ते चलन के कारण भी जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आजकल इन बिमारियों की चपेट में युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी तेजी से आ रहे हैं। उदहारण के लिए भारत में मोटापा जैसी जीवन-शैली की बीमारियों की घटनाओं को बढ़ाने में उचित पोषक तत्वों की कमी वाले फास्टफूड और पैकेज्ड फूड्स का सेवन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जबकि कंप्यूटर, टीवी और मोबाइल के लगातार इस्तेमाल से आँख की समस्याएं उत्पन्न हो गईं हैं। हालांकि अनुशासित जीवनशैली द्वारा न केवल इनसे बचा जा सकता है लेकिन आज भारतीय उपभोक्ता विशेष रूप से उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के लोग संतुलित पोषण प्राप्त करने के लिए न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद और फंक्शनल फूड्स के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की ओर बढ़ रहे हैं। व्यस्त जिंदगी और हाई परफॉरमेंस के प्रेशर में नौजवान ऊर्जा-बढ़ाने वाले उत्पादों में रुचि रखने लगे हैं। आज के दौर में व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता और मानसिक स्थिरता में सुधार करने के साथ-साथ अधिक से अधिक सक्रिय होना चाहता हैं

यद्यपि अमेरिका, यूरोप और जापान कुल वैश्विक न्यूट्रास्युटिकल बाजार का नब्बे प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं और यही वह बाजार हैं जहां नए-नए उत्पादों का दिल खोलकर स्वागत भी किया जाता है फिर भी भारत, चीन और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देश पोषक तत्वों से सम्बंधित उत्पादों का नया और उभरता बाजार हैं। आप देख सकते हैं बदलते बाजार के रुझान के साथ अधिकांश बहुराष्ट्रीय और स्थानीय फार्मास्युटिकल कंपनियों ने भारत में अपने उत्पादों को लॉन्च करना शुरू कर दिया है और भारतीय उपभोक्ताओं जरूरतों के अनुसार अपने उत्पादों का विस्तार किया है। एफएमसीजी निर्माता भी न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद लॉन्च करने में पीछे नहीं हैं। आज भारत न्यूट्रास्युटिकल्स के निर्यात का भी बड़ा केंद्र बन चुका हैं।

न्यूट्रास्युटिकल्स के नामकरण और नियामक वर्गीकरण बिभिन्य देशों में भिन्न हो सकते हैं, हालांकि आमतौर पर इन उत्पादों को खाद्य पदार्थों के एक वर्ग के रूप में माना जाता है। न्यूट्रास्यूटिकल्स को डाइटरी सप्लीमेंट्स (जिसमे विटामिन और मिनरल शामिल हैं), फंक्शनल फूड्स और पेय (जैसे एनर्जी और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स, प्रोबायोटिक्स और हर्बल अर्क इत्यादि) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। एसोचैम नॉलेज की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय न्यूट्रास्युटिकल्स बाजार २०२५ में $१८ बिलियन हो जाने की सम्भावना है। भारत में न्यूट्रास्युटिकल्स को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस प्राधिकरण का उद्देश्य खाघ वस्तुओं के लिए विज्ञान आधारित मानकों का निर्धारण करने और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु उनके विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री तथा आयात को विनियमित करना है।

भारतीय बाजार में डाइटरी सप्लीमेंट्स सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखते है जबकि फंक्शनल फूड्स और पेय पदार्थ अपेक्षाकृत छोटा खंड है। डाइटरी सप्लीमेंट्स उत्पादों का निर्माण मुख्य रूप से दवा निर्माताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन आजकल केवल न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद बनाने वाली कंपनिया भी बाजार का हिस्सा बन चुकीं है। एफएमसीजी कंपनियों ने फंक्शनल फूड्स और पेय पदार्थों के विभिन्न पोर्टफोलियो के साथ बाजार में प्रवेश करना शुरू कर दिया है और उनका फोर्टीफाइड फूड्स मार्केट भी तेज गति से बढ़ रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां जैसे डीएसएम, बीएएसएफ और मर्क न्यूट्रिशन प्रोडक्ट्स, विटामिन और मिनरल्स उत्पादों में अग्रणी हैं तो नेस्ले और केलॉग का भारतीय मार्किट में बड़ा हिस्सा है। दानिसको और याकुल्ट प्रोबायोटिक्स के बड़े निर्माता हैं। भारत में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों की आवश्यकता और रुचि के अनुसार उत्पादों निर्माण निर्माताओं के लिए फायदेमंद हो सकता है। उदाहरण के लिए, शाकाहारी लोगो के लिए शाकाहारी स्रोत से विटामिन और ओमेगा -3 फैटी एसिड को उपलब्ध कराना एक नया और बड़ा मार्केट हो सकता है। भारत बच्चों और युवाओं का देश है इसलिए विभिन्न स्वादों और प्रकारों में न्यूट्रास्यूटिकल की आपूर्ति करके बड़ा बाजार बनाया जा सकता है। भारतीय उपभोक्ता आसानी से प्राकृतिक सामग्री के साथ तैयार किए गए उत्पादों को स्वीकार कर लेते हैं, क्योंकि वे उनके नियमित आहार का हिस्सा हैं। भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के साथ न्यूट्रास्युटिकल्स कंपनिया जैसे डाबर, हिमालय, पतंजलि आदि न्यूट्रास्युटिकल्स बाजार को भविष्य की तरफ ले जा रही हैं।

डॉ. रूपेश जैन
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