वर्तमान समय में मधुमेह रोग बहुत तेजी से फैलता दिख रहा है। मधुमेह रोग के कारण गुर्दा रोग भी बढ़ रहा है, इससे गुर्दा (किडनी) खराब होने भी खतरा रहता है। हाल ही में हुए शोध से इसका सर्वसुलभ उपचार खोजा गया है। अमरीका की प्रसिद्ध पत्रिका आर्चिव्स आॅफ क्लिनिकल नेफ्रोलोजी में प्रकाशित डॉ तरुण सक्सेना के शोध पत्र ‘डायबिटिक नेेफ्रोपैथी पैथोफिजियोलोजी‘ में मधुमेह से गुर्दा खराब होने के कई कारणों में सेें बेसमेंट झिल्ली का मोटा होना एवं सामान्य रूप से काम नहीं करने को प्रमुख कारण बताया है। शोध में यह पाया गया कि गुर्दे के अन्दर जाने वाली सूक्ष्म धमनियों (Afferent Arteriole) में एडवांस्ड ग्लाइकोसिलेटेड एंड प्रोडक्ट्स, ए जी इ (AGEs) जमा हो जाता है। इस कारण इन धमनियों में रक्त का प्रवाह कम होने से (GFR) जी एफ आर में कमी आती है, इससे शरीर में सूजन, यूरीया क्रिएटनिन का बढ़ना एवं पेशाब में प्रोटीन जाना शुरू हो जाता है।गुर्दे को रक्तसंचार कम होने से वह सिकुड़ने लगता है, खून बनना कम होता है और एंड स्टेज किडनी की ओर मरीज का रोग बढ़ने लगता है। इस शोध से मिली दिशा के अनुसार अनेक मरीजों पर प्रयोग से यह पाया गया कि प्याज, लहसुन एवं जिनसेंग में यह विशेषता है कि ये (AGE) ए जी इ से रिएक्शन क्रिया करके उसको निष्क्रीय कर देते हैं, इससे एल्वोमिन (प्रोटीन) का पेशाब में जाना रूक जाता है और यूरीया क्रिएटनिन का लेवल भी सामान्य हो जाता है तथा सूजन में कमी आती है।
डॉ तरुण सक्सेना बताते हैं कि प्याज के उपयोग के बहुत सकारात्मक परिणाम मरीजों में देखे गए हैं। मधुमेह से गुर्दे में आने वाली खराबी से बचने और उसके उपचार के लिए मधुमेह के रोगी प्याज को कच्चा या पकाकर किसी भी प्रकार से रोजाना उपयोग करें तो उन्हें लाभ मिल सकता है । जो लोग प्याज-लहसुन नहीं खाते हैं वे होमियोपैथिक की दवा एलियम सीपा भी ले सकते हैं।
-डाॅ तरूण सक्सेना
वरिष्ठ चिकित्सक, मित्तल हास्पीटल एण्ड रिसर्च सेन्टर
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