हर किसी को नहीं मिलता यहां प्याज जिन्दगी में। अब काटने में आंसू आने से पहले खरीदने में रोना आ जाता है। आप एप्पल खा सकते हैं। अनार खा सकते हैं या कोई और फल। लेकिन अब प्याज खाने की मत सोचिए, क्योंकि फल आपको ₹80 किलो तक मिल जाएंगे। लेकिन प्याज शतकवीर हो चुका है। फिर भी देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इससे फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि वह उस परिवार से है,जो प्याज लहसन नहीं खाता। काश, पूरे देश में ऐसे ही परिवार होते तो प्याज को भी अपनी औकात का पता रहता और वह बाजार में बिकने को तरसता, लेकिन क्या करें,हर कोई निर्मला जी की तरह निर्मल नहीं है जो प्याज को सबल बनकर छोड़ दे ।
यानी अब मंत्रियों और नेताओं को जो चीज पसंद होगी या वो जिसका इस्तेमाल करते होंगे, वही आपको उचित कीमतों पर मिल सकेगी। निर्मला जी भले ही सरकार गिराने की प्याज की ताकत को नहीं जानती हो, लेकिन गृहमंत्री और भाजपा की राज्य सरकारें बनाने के विशेषज्ञ अमित शाह को इसका अहसास है कि 1998 में प्याज की कीमतों ने दिल्ली में सुषमा स्वराज वाली भाजपा सरकार की गद्दी छीन ली थी। इसलिए उन्होंने प्याज से निकल रहे,आंसू थामने के लिए बैठक बुला ली है। देश में मंदी के कारण जहां उत्पादन,रोजगार,जीडीपी लगातार घट रहे ही,अकेले प्याज की कीमतें ही बढ़ रही है।कहां तो पहले कहा जाता था कि प्याज रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ, वही कहां अब प्याज खुद गरीबों के लिए प्रभु बन गया है।
ओम माथुर/9351415379