*कबाड़*

नटवर विद्यार्थी
कबाड़
घर में हो या
मस्तिष्क में
निकाल देना ही ठीक है
बड़े – बुजुर्गों की
यही सीख है ।
कबाड़ रोक देता है
हमारी गति- प्रगति
भ्रमित कर देता है
मानव – मति
मानसिक तनाव बढ़ाता है
दरिद्रता लाता है ।
अनुभव की कसौटी पर
कसी हुई सीख है
कबाड़
नकारात्मकता का प्रतीक है ।
– नटवर पारीक

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