सूर्य संवत्सर का सबसे बड़ा दिन मकर सक्रांति Part 4

dr. j k garg
4ज्ञानिक विचार से 21-22दिसंबर के आसपास से ही दिन बढऩे शुरू होते हैं। इसलिए वास्तविक शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर या 22 दिसंबर जब उष्णकटिबंधीय रवि मकर राशि में प्रवेश करती है पर शुरू होती है। इसलिए वास्तविक उत्तरायण 21दिसंबर को होता है। यही मकर सक्रांति की वास्तविक तारीख भी थी। एक हजार साल पहले मकर संक्रांति 31दिसंबर को मनाया गयी थी और अब साधारणतया 14जनवरी को बनाई जाती है। वैज्ञानिक गणनाओं के अनुसार पांच हजार साल बाद,यह फरवरी के अंत तक हो सकता है,जबकि 9000 वर्षों बाद में यह जून में आ जाएगा।
खगोलीय अवधारणा के मुताबिक सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहा जाता है। दरअसल हर साल सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश 20 मिनट की देरी से होता है। इस तरह हर तीन साल के बाद सूर्य एक घंटे बाद और हर 72 साल एक दिन की देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस तरह 2080 के बाद मकर संक्रांति 16 जनवरी को पड़ेगी। इसी सन्दर्भ यह उल्लेखनीय है कि राजा हर्षवर्द्धन के समय में यह पर्व 24 दिसम्बर को पड़ा था। मुग़ल बादशाह अकबर के शासन काल में 10 जनवरी को मकर संक्रांति थी। शिवाजी के जीवन काल में यह त्योहार 11 जनवरी को पड़ा था।
मकर संक्राति को देश में कई अन्य नामों से भी जाना जाता है यथा तिल संक्राति, खिचड़ी संक्रान्ति एवं माघ संक्राति |

डा जे. के. गर्ग

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