*वैचारिकी-गाँधी व्यहवारिक-सम्भावना *

रास बिहारी गौड़
बड़ी आसानी से कह देते है गाँधी आदर्श है, व्यहवारिक नहीं। कभी आधुनिकता के नाम पर तो कभी असम्भव होने की शर्त पर हम गाँधी को अपने दूर करते रहते हैं..।
जबकि गाँधी जितने व्यहवारिक है उतने ही आधुनिक और सम्भव भी है ..बल्कि सच तो ये है वे आधुनिकता और संभावनाओं को समय के पार जाकर रचते हैं…। तभी तो दुनिया के आधुनिकतम कहे जाने वाले देश भी गाँधी को बार-बार याद करते हुए अपने आप को सही ठहराने की कोशिश करते हैं..गाँधी के जाने के बाद भी उसकी नज़रो में टिके रहना चाहते हैं…वह चाहे अमेरिका सरीखा वैश्विक सत्ताधीस हो या फिर समराज्य वाद का सबसे बड़ा पुरोधा ब्रिटेन..जर्मन..। यहाँ तक कि *दुनिया भर का हिंसक समाज भी गाँधी के सामने सीधा खड़ा नहीं हो पाता…वे जिन्होंने गाँधी के होने को अपने लिए ख़तरा माना ..वे तक उसकी शरण में अपनी सुरक्षा ढूँढते हैं…।*
गाँधी होने या गाँधी के अनुकरण का मतलब यह नहीं है कि धोती-लँगोटी पहन कर सड़कों पर निकलना… चरखा कातना.. आश्रम में रहना ..प्रार्थना सभा.. राजनीति…संत..यह सब नहीं है …। *गाँधी अनुकरण के अर्थ है कमजोर आदमी की ताक़त बनना.. शोषण के विरुद्ध आवाज़ बनना..निज को सर्व में बदलना .. अपने भीतर अपना बल पैदा करना…पर पीड़ा को अनुभूत करना..अहंकार से दूर रहकर विरोध को स्वीकारा..प्रेम के मूल मंत्र का बार-बार जाप करना…।*
गाँधी को अव्यवारिक मानने वाले या तो राजनीतिक नारों से संचालित होते हैं..या फिर वे गाँधी को किताबों से बाहर नहीं देख पाते ..या फिर वे मूल्यों की व्याख्या अपनी सुविधा से कर लेते हैं..ये सब हम ही हैं..हमारे ही आस पास हैं…।हमारा डर, हमारा मोह, हमारी निजता..हमें बाहर नहीं झाँकने देती.।हम समाज की इकाई होते हुए समाज के लिए समग्र सोच नहीं रख पाते…। हम पूँजी या पहचान की आभासी चमक को उजाला मानने लगते हैं…। हम नैतिक बल को दूसरे बलों के सापेक्ष क्षीण मानते हैं…। परिणाम हम हर पल असुरक्षित महसूस करते हैं..डर को पोषित करते हैं….भौतिक-सामाजिक -राजनैतिक परतंत्रता को भोगते हुए ख़त्म हो जाते हैं..।*सही मायने में गाँधी होने या अनुकरण के अर्थ ही स्वतंत्रता के अर्थ को जीना है..।*
गाँधी उन सबके लिए अव्यहवारिक एवं असम्भव है जो अपने आप को कभी अपनी नज़रों से नहीं देखना चाहते…जब आँखे अपनी नहीं तो वे अनुकरणीय भी नहीं रह जाते …।
गाँधी अपने अर्थों में सबसे अधिक अनुकरणीय, व्यहवारिक और सम्भव है ।

*रास बिहारी गौड़*

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