रूहानी संवाद

खुद को मिटा देने का दम हो तो बन्दगी करो ।

शिव शर्मा
बन्दगी, भक्ति, इबादत आदि हमारी रूह का मामला है, शरीर का नहीं। जो कोई इस शरीर के प्रति अपनी आसक्ति को मिटा सके वही मनुष्य बंदगी कर सकता है। शेष तो , इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग जैसा है।
गोपियों ने कृष्ण से प्रेम किया। प्रेम में बंदगी करी। अपना मन कृष्ण को दे दिया। जब उद्धव जी उन्हें निराकार ब्रह्म की भक्ति का उपदेश कर रहे थे तब कोई गोपी बोली – भक्ति मन से की जाती है ; और हमारा मन तो कृष्ण के पास है। अब किस मन से तुम्हारे ब्रह्म की उपासना करें। गोपियां की सारी आसक्तियां कृष्ण के प्रेम में मिट गईं। यह है बन्दगी। चित्तौड़ की रानी मीरा इसी बंदगी में दीवानी हो गई। साधु संतो ंके साथ सड़क पर नाचने लगी – मीरा रानी दीवानी कहाने लगी। बंदगी ऐसी होती है।
हीर -रांझा का दृष्टांत। हीर बोली कि मुझे अब हीर मत कहो ; मै रांझा हूं। रांझा के प्रेम में हीर मिट गई। उस की हीर वाली सुध बुध मिट गई। प्रेम उस के लिए इबादत हो गया। ऐसे ही जुलेखा (यूसुफ की प्रेमिका) की बात। बीस साल बाद दोनो मिले। निकाह की बात उठी। जुलेखा ने कहा – मैने तुम्हारी रूह की इबादत की है। मेरी बंदगी रूहानी है। तुम में खुदा को देखा है। अब शरीर वाली जाुलेखा कहां है ! केवल रूह है।
बंदगी बेखुदी में होती है। बेखुदी में मन खुद का नहीं रहता है, खुदा का हो जाता है। खुसरो ने कहा – तन मेरा, मन पीउ का, दोउ भए एक रंग। उस ने अपने पीर निजामुद्दीन औलिया से प्रेम किया। प्रेम में इबादत की। इबादत में खुद का मन मिट गया। हृदय में पीर उतर गया। अब शरीर तो खुसरो का लेकिन उस में हृदय खुद के पीर का। मिट गया खुसरो। खुसरो में उस का पीर ही सांस ले रहा था। पीर गया तो खुसरो भी चला गया। इसे कहते हैं बन्दगी।
कबीर बोले कि ‘मन लागो मेरा यार फकीरी में। उनका मन घर परिवार से उठ कर फकीरी में लग गया – अनासक्त हो गया, राम (गुरु रामानंद) में लग गया। फिर ब्रह्माण्ड के राम में लग गया। तब कबीर ने कहा – इबादत में हम ने अपना घर (खुदी को) जला दिया हे (मिटा दिया है)। अब उस का घर जलाऊंगा जो मेरे साथ बैठ कर बन्दगी करना चाहता है। जिस ने बंदगी करी, उस का ‘मै’ मिट गया ।
खुसरो दरिया प्रेम का, वाकी उल्टी धार।
जो उबरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार।।
जो प्रेम के दरिया में डूब गया, वह पार हो गया – उसे खुदा मिल गया। बंदगी की और पीर नहीं मिला ; और खुदा नहीं मिला तो समझो कि बंदगी हुई ही नहीं।

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