आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान

खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान ।
आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान ।।
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दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएं हो दूर ।
कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर ।।
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छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान ।
नए साल के पँख पर, खुशबू भरे उड़ान ।।
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बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत ।
क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत ।।
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माफ़ करे सब गलतियां, होकर मन के मीत ।
मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत ।।
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जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास ।
जब तक साँसे हैं मिली, रख खुशियों की आस ।।
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पिंजड़े के पंछी उड़े, करते हम बस शोक ।
जाने वाला जायेगा, कौन सके है रोक ।।
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पथ के शूलों से डरे, यदि राही के पाँव ।
कैसे पहुंचेगा भला, वह प्रियतम के गाँव ।।
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रुको नहीं चलते रहो, जीवन है संघर्ष ।
नीलकंठ होकर जियो, विष तुम पियो सहर्ष ।।
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दुःख से मत भयभीत हो, रोने की क्या बात ।
सदा रात के बाद ही, हँसता नया प्रभात ।।
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चमकेगा सूरज अभी, भागेगा अँधियार ।
चलने से कटता सफ़र, चलना जीवन सार ।।
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काँटें बदले फूल में, महकेंगें घर-द्वार ।
तपकर दुःख की आग में, हमको मिले निखार ।।
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©® सत्यवान सौरभ

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