किसी को मेरे पर विश्वास नही है / हास्य-व्यंग्य

शिव शंकर गोयल
सन 1964 की बात है जब मैं रेलवे में कार्यरत था. एक बार ट्रेन से घर, अजमेर आ रहा था. मेरे पास रेलवे का सैकिन्ड क्लास का पास था लेकिन मित्रों के साथ मैं थर्ड क्लास में ही बैठा था. कुछ देर बाद टीटीई आया और टिकट के लिए पूछा तो मैंने उसे पास निकालकर बताया तो वह मेरे पर शक करने लगा और पूछा कि यह किसका है ? मैंने उसे अपना नाम बताया जो Pass पर भी लिखा हुआ था. परन्तु वह नही माना. उन दिनों आधार कार्ड, वोटर आईडी या मॉबाइल तो होते नही थे. बहुत बहस हुई फिर वहां बैठे बुजुर्ग सह–यात्रियों ने हस्तक्षेप करते हुए उसे कहा कि कब्जा सच्चा, बाकी सब झूठ होता है, पास इनका ही है तब टीटीई माना.
एक बार Ajmer Engineer’s Institution का Secretary बनने का मौका मिला. उन्ही दिनों Institution का Constitution भी बना और सब सदस्यों को तत्कालीन President Shri D.R. Trehan (HMT) एवं Secretary के हस्ताक्षरों से Certificate दिए गए. उसे मैंने भी अपने Drawing Room में टांग रखा था. अब जो भी घर आएं वह पहले Certificate को और फिर मेरे को देखें और मेरे Engineer होने पर शक करें क्योंकि मेरे ही हस्ताक्षर और मेरा ही Certificate. कौन यकायक Believe करेगा ?
एक बार दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में सैक्टर चार की इस्पात सोसायटी में सोलर पावर लगाने को लेकर मुख्य मंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल जी के सम्मान में मिटिंग थी. किसी के कहने पर मुझें Guest of Honour बना दिया और वहां लगे सोफे पर मेरे नाम की चिट भी लगादी. आदत के अनुसार मैं समय पर पहुंच गया और मेरे नाम की चिट की जगह बैठने लगा तो वहा खडी महिला volunteer ने कहा कि Please ! आप यहां नही बैठ सकते. यह सीट एसएस गोयल की है. मैंने उसे कहा कि मैं ही हूं तो वह आंखें फाड फाडकर मुझें देखने लगी. हालांकि एक बार तो मैं वहां से उठ भी गया लेकिन फिर मेरे साथी आर पी नरूला साहब के कहने पर बैठ गया.
युवावस्था में पढाई खतम होकर जब नौकरी लग गई तो रिश्ते आने शुरू होगए. कही बात चली होगी अत: जब एक बार लडकी वालें मुझें देखने आए तो माताजी ने मुझें बुलाया और उन्हें कहा कि लो देखलो, लडके को. मुझें देखकर वह बोले हमें क्या दिखाते हो इसे किसी डाक्टर को दिखाओ.
सन 1989 की बात है अजमेर क्लब में, रोटेरी क्लब द्वारा आयोजित, तकनिकी विषय (Re-claimation of Waste Water) पर मेरी लैक्चर मीटिंग थी. मैं, अपनी आदतानुसार सांयकाल ठीक 7 बजे वहां पहुंच गया. हॉल के बाहर खडे चौकीदार को पूछने पर उसने बताया आज यहां किसी गोयल साब का लैक्चर है. अभी कोई नही आया है. यह कहकर उसने हॉल का दरवाजा वापस बंद कर दिया. मैं Hall के side में open Terrace पर चला गया.
थोडी देर बाद सर्व प्रथम J.L.N Hospital के डाक्टर एम.एस.माथुर सपत्निक, वहां आएं. मैं उन्हें जानता था परन्तु वह मुझें नही जानते थे. मैंने आगे बढकर उनका स्वागत किया और हॉल में ले जाकर उन्हें ससम्मान बैठाया. इस तरह एक-एक करके आगंतुक आते गए और मैं उनको स्वागत करके बैठाता रहा जब तक कि रोटेरी क्लब के पदाधिकारी नही आगए.
पदाधिकारियों के आने के बाद सचिव ने जब मुझें मंच पर आमंत्रित किया तो सबको आश्चर्य मिश्रित खुशी हुई कि जिस व्यक्ति ने हमारा स्वागत किया वह तो आज का मुख्य अतिथि है.
शादी के बाद मायके लौटने पर मेरी पत्नि ने मेरी सास के पूछने पर कहा कि अम्मा यह कविता भी करते है तो वह बोली, कोई बात नही बेटा ! एक न एक ऐब तो इन सब मर्दों में होता ही है. जैसे तैसे निभाओ.
एक बार हाउस टैक्स जमा करवाने हेतु नगर परिषद, अजमेर जाना हुआ.वहां काउंटर पर बोर्ड लगा हुआ था “अजमेर स्वर्ग है, आप उसके निवासी है.” पढकर मन ही मन कुछ सोचने लगा, स्वर्गवासी ? फिर, चेतनवस्था में आकर, वहां बैठे बाबूजी से टैक्स बाबत बात की तो उसने कहा कि अंदर बैठे हैड साहब से बात करलें. मैं उनके पास गया तो वह बोले पहले अपना हैड चैक कराओ. सुनकर मैं चकराया. मैंने उन्हें कहा इतने साल सरकारी नौकरी की तब तो किसी ने इस बारें में कुछ कहा नही और अब आप कह रहे है कि अपना हैड चैक कराओ. इसी बीच वहां खडे एक व्यक्ति ने सलाह दी कि Accounts Section में जाकर इस बिल को दिखाने की कह रहे है. तब कही बात बनी.
दिल्ली में मयूर विहार में नागार्जुन सोसायटी में रहते थे तब एक बार सातवी मंजिल पर रहने वाले सहगल साहब, अपने दो कुत्तों के साथ, लिफ्ट से नीचे उतर रहे थे. मैं second Floor पर नीचे जाने के लिए लिफ्ट का इंतजार कर रहा था. वहां लिफ्ट के खुलते ही मुझसे बोले आइये, आइये आपको भी इनके साथ Adjust कर लूंगा.

शिव शंकर गोयल

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