स्त्रियों आपको वंदन हमारा

समस्त स्त्रियों आपको वंदन है हमारा,
गाॅंव और शहर आप से लगता प्यारा।
मंगलकारी होता घर आगमन तुम्हारा,
महकता हर घर होता सारे उजियारा‌।।

आपके बिन किसी का चलें न गुज़ारा,
सब घर की ऑंखो का आप सितारा।
स्वस्थ और समृद्ध ये हिंदुस्तान प्यारा,
जग-मग कर देती मिटा देती अन्धेरा।।

धरा का कण-कण आपसे महक रहा,
त्याग एवं बलिदानों से इतिहास भरा।
नदियां गंगा यमुना कावेरी एवं नर्मदा,
आगें बढ़ते रहो कहती रहती यें धारा।।

आपके नाम से गुॅंजायमान जग सारा,
राधा सीता महागौरी की आप छाया।
वंदनीय रूपों में आप धरा पर पधारी,
माॅं बहन ‌बेटी एवं बनती आप भार्या।।

ममता की है मूरत भोली भाली सूरत,
कर देती है ‌प्रेम में सब कुछ समर्पित।
पत्नी धर्म निभाकर वंश आगें बढ़ाया,
जीवन का आधार प्रेरणा हो हिम्मत।।

परचम आपने हर जगह पर लहराया,
दो-दो कुलों का आपने मान बढ़ाया।
अन्तरिक्ष रहस्य गगन छूकर दिखाया,
प्रतिभाओं में हर जगह पाॅंव जमाया।।

रचनाकार
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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