चिंता : कैसे पाएं इससे छुटकारा

dr. j k garg
किसी को रोटी की चिंता है तो कोई अपने रोजगार एवम् अपने व्यापार के प्रतिचिंतित है तो कोई परिवार के प्रति। सभी चिंता के साये में अपना जीवनयापन कर रहेहैं।निसंदेह चिंता आज विश्व केहर मानव के साथ चिपकी हुई है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि “चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का फर्क होता है “,अन्यथा दोनों समानहैं।चिंता वह आग है जो चिन्तन को जला डालती है | चिंता ही चिता बन जाती है | देखा जाए तोचिंताभय से कुछ अलग है,भय किसी ज्ञात खतरेके कारण उत्पन्न होता है वहीं चिंता अनुभव किये गये अनियंत्रित या अपरिहार्य खतरों का परिणाम है | रवींद्रनाथ टैगोरने कहा था कि यदि आप खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से किसी काम में व्यस्त रखतेहैं,तो आपके पास चिंताके लिए फालतू समय नहीं बचेगा।चिंता का जन्म लोभ से ही होता है। लोभ का आशय इच्छा से है और आज हरव्यक्ति किसी-न-किसी वस्तु की इच्छा,आकांक्षा या कामना अपने मन में पाले हुए है |वास्तविकता तो यहीहै कि चिंता संज्ञानात्मक,शारीरिक,भावनात्मक औरव्यवहारिक विशेषता वाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है, यह एक अप्रिय भावबनाने के लिए जुड़ते हैं जो की साधारणतया बेचैनी,आशंका,डर और क्लेश से सम्बंधित हैं | देखा जाए तो चिंताभय से कुछ अलग है,भय किसी ज्ञात अथवाअज्ञात खतरे के कारण उत्पन्न होता है वहीं, चिंता अनुभव किये गये अनियंत्रित या अपरिहार्यखतरों का परिणाम है |चिंता का कारण है निराशावादी द्रष्टिकोण |नकारात्मकता एवं निराशावादी सोच ही चिंता की जननीहै |चिंता को सिर्फचिन्ता के कारणों का नाश करके ही मिटाया जा सकता है |दरअसलहमें जितना मिलता है हम उससे ज्यादा कीआस में थोडा और,थोडाऔर की रट लगाएरहते हैं इसी सोच के कारण एक दिन हम अपने अपने सुख और शांति से भी हाथ धो बैठतेहैं और चिंता के चक्रव्यू में उलझते ही जाते हैं |। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि “चिंता और चिता मेंसिर्फ एक बिंदु का फर्क होता है “,अन्यथा दोनों समान हैं।चिंता वह आग है जो चिन्तन को जला डालती है | चिंता ही चिता बनजाती है | प्रसिद्ध विचारकबीचर कहते थे कि व्यक्ति काम से नहीं मरता,बल्कि चिंता उसे मार डालती है।एक किद्वन्ती के मुताबिक शैतान एक दिन रोता हुआ भगवान के पास गया और रोतेहुए बोला ‘प्रभु पृथ्वी केलोग मेरे सेवकों से भयभीत नहीं हो रहे हैं। शैतान की बात सुनकर ईश्वर ने शैतान कोएक लडकी “चिंता” दी और बोले यहचिंता रूपी लडकी तुम्हारी इच्छाओं की पूर्ति करेगी | चिंता के शारीरिक प्रभाव अत्याधिक भयावह होते है क्योंकि चिंता से दिल कापल्पिटेशन, मांसपेशियों मेंकमजोरी,तनाव,थकान,मिचली,सीने में दर्द,पेट में दर्द यासिर दर्द शामिल हो सकते हैं, रक्तचाप और दिल की गति बढ़ जाती है,पसीना बढ़ जाता है,पाचनतंत्र खराब हो जाता है | चिंता में सबसे पहले नींद जाती है | हम कह सकते हैं किचिंता के तीन परिणाम होते हैं यथा—आत्महत्या,असफलता और कुंठित जीवन।चिंता के विभिन्न रूप होते हैं यथा 1.परीक्षण और प्रदर्शन की चिंता 2.अजनबी और सामाजिक चिंता 3.लक्षण चिंता (ट्रेट चिंता) 4. पसंद या निर्णय चिंता5.सकारात्मक मनोविज्ञान में चिंता 6. अस्तित्व की चिंता |चिंता करना कैसे बंद करें:—— जो कल के लिए चिंतित रहते हैं उनकी निर्णय क्षमताभी आशंकाओं के भय से प्रभावित होती ही है। इस तरह के लोग भविष्य की आशंकाओं सेभयभीत होकर कोई भी निर्णय सही तरीके से नहीं ले पाते हैं। वे डरे और सहमे रहते हैंऔर उनके डर का असर उनके निर्णयों पर भी साफ दिखाई देता है।चिंता और तनाव से मुक्त बननें” का विज्ञान—– वैज्ञानिक भी इसबात से सहमत हैं कि एक चिंता दूसरी और दूसरी,तीसरी चिंता का कारण बनती है। जब आप सोचते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो… औरफिर उन स्थितियों के बारे में सोचने लग जाते हैं जो अभी आपसे बहुत दूर है। चिंतामुक्त व्यक्ति अपने आज के बारे में ही सोचता है।वह उन चीजों को लेकर ज्यादा चिंतितनहीं रहता है जो अभी हुई ही नहीं है।जो व्यक्ति ज्यादा चिंता करते हैं उनके दिमाग को भी ज्यादा काम करनापड़ता है क्योंकि तब वे भविष्य की हर घटना को आशंका की नजर से ही देखते है और उसकेकाल्पनिक परिणामों का आकलन ही करते रहते है। ऐसे किसी भी व्यक्ति की सारी रचनात्मकऊर्जा चिंता में ही खत्म हो जाती है।अत: हमें चिंता में अपनी उर्जा को नष्ट नहींकरें | देखें कि क्याभविष्य की आशंका आपको ज्यादा भयभीत कर रही है और आप इस आशंका से डरकर वर्तमान मेंसही ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप अपनी ऐसी दृष्टि को बदलें। चिंता मुक्त रहनेके लिये आत्मविश्वासी बने | चिंता मुक्तव्यक्ति प्रतिकूल परिस्थिति में भी सकारात्मक संभावना के बारे में सोच पाता है।पारिवारिक समस्याएं प्रायः धन,पत्नी,बच्चों और परिजनोंके कारण उत्पन्न होती हैं। लेकिन ऐसा नहीं कि उन समस्याओं का निराकरण न किया जासके।अतः पारिवारिक समस्याओं के प्रति अत्यधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है।हम पर जब विपत्ति आये,कोई समस्या आये,कोई नुकसान हो तोहमें चिंता करने की जगह चिंतन करना चाहिए,चिंता एक तरह से आदमी की ताकत को निचोड़ती है जबकि चिंतन,शक्ति के सही दिशामें उपयोग का रास्ता बता सकता है | रवींद्रनाथ टैगोर ने भी कहा था कि यदि आप खुद को मानसिक और शारीरिक रूपसे किसी काम में व्यस्त रखते हैं,तो आपके पास चिंता के लिए फालतू समय नहीं बचेगा।अपने जीवन में खुशहाली एवम् प्रसन्नता हेतु भागदौड भरी जिंदगी में चिंताछोड़ केवल मुस्करायें, अपनी चाह पर लगामलगायें, छोटी-मोटी बातों परमाथापच्ची करना छोड़ें और अपने मन की गाठें खोल दें

|प्रस्तुती—डा.जे.के.गर्गसन्दर्भ—अवधेश कुमार भदानी, स्वेट मार्टिन की पुस्तक के कुछ अंश——विश्वप्रसिद्ध विचारक‘स्वेट मार्डेन’द्वारा सुझाए गए वहव्यावहारिक नुस्खे ज्ञानीपुरुष दादा भगवानके उद्द्बोधन—-आदि

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