दोष पहनावे में नहीं आपकी मानसिकता में है

बाबूलाल नागा / नई दिल्ली में हुए बर्बर सामूहिक बलात्कार की घिनौनी घटना ने जहां सारे देश को झकझोर दिया वहीं इस घटना के बाद बयानबाजी करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं। राजनेता हो या फिर धार्मिक गुरू। हर कोई इस मुद्दे पर मरहम लगाने के बजाए विवादों को हवा दे रहा है। बलात्कार के मामलों में महिलाओं को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की जा रही है। कोई उन्हें रात को गैर मर्दों के साथ न घूमने की नसीहतें दे रहा है तो कोई भारत में मौजूदा स्थिति के लिए फैशन और नग्नता को दोषी मान रहा है। लड़कियों को सलाह देने में पुरुष राजनेता सबसे आगे हैं। उन्हें बलात्कार या छेड़छाड़ से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कम कपड़े पहनने से छेड़छाड़ या बलात्कार नहीं होंगे।
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के विधायक बनवारी लाल सिंघल चाहते हैं कि स्कूली छात्राओं की टांगे न दिखें। इसलिए राज्य की सभी स्कूलों में स्कर्ट की जगह सलवार कमीज को लागू कर देना चाहिए। क्योंकि स्कूली छात्राओं के स्कर्ट पहनने से यौन उत्पीड़न के मामले बढ़ते हैं। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग की कि स्कूलों मंे लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर रोक लगनी चाहिए। बहुजन समाजपार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क का कहना है कि महिलाएं जिस तरह से कपड़े पहनती हैं, उनसे युवक अपराध करने को आमदा होते हैं। महिलाओं में पहले जो शालीनता थी वो अब नहीं है। पांडिचेरी सरकार ने हाल ही स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों को आदेश दिया कि वे ओवरकोट पहनें। विवादास्पद सुझावों की इस झड़ी में महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी ने बयान दिया कि देश में ये भी कानून बने कि लड़कियां कम कपड़े न पहनें। ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि औरतों के पहनावे को लेकर हायतौबा मची हो। पिछले एक दो दशकों में कई बार हमारे देश में औरतों के पहनावे को लेकर टिप्पणियां की गई हैं। शिक्षण संस्थाओं में डेªस कोड लागू करने के मामले उजागर हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह कट्टरपन और पाश्चात्य कपड़े पहनने वाली युवतियों पर हमलों की संख्या भी बढ़ती गई है। वर्ष 2002 मंे शिवसेना ने तो सरकार से औरतों के लिए डेªस कोड बनाए जाने की मांग कर डाली थी। उनका कहना था कि महिला हिंसा बढ़ने का कारण है उनके भड़काऊ कपड़े।
दरअसल, कई लोग लड़कियों के साथ बलात्कार को उनके कपड़ों से जोड़ कर देख रहे हैं जबकि कपड़ों का अपराध से कोई लेना देना नहीं है। बल्कि इसके लिए आपराधिक मानसिकता जिम्मेदार है। दोष लड़कियों के लिबास में नहीं समाज की उस मानसिकता में है जिसके चलते एक बाप खुद की जाई अवस्यक बेटी के साथ यौन कर्म में लिप्त होता है और फिर बेशर्मी से कहता है मेरे ही पेड़ का ये फल है इसे मैं नहीं खाऊंगा तो कौन खाएगा? इसी मानसिकता के चलते अन्य महिलाएं भी दस साल की उस बेटी पर ही चरित्रहीनता का दोष देती हैं जिसके साथ उसका पिता यौन कार्य करता है। औरतों के पहनावे पर बयानबाजी करने वालों की अक्ल पर बड़ा तरस आ रहा है। कोई इनसे पूछे कि तथाकथित ‘‘सलीकेदार कपड़े पहनने से छेड़छाड़ रुक जाती तो बुर्के और घूंघट में रहने वाली महिलाएं तो सबसे ज्यादा सुरक्षित होती।’’ सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। पर्दे में घर की चारदीवारी में रहने वाली महिलाएं भी यौन उत्पीड़न की शिकार हो रही हैं। अवयस्क बालिकाओं पर यौन शोषण करने वाले अधिकांशत उनके अपने वयस्क रिश्तेदार या परिचित ही होते हैं। चार महीने की बच्ची से लेकर झपल्ल बुढ़िया तक यौन उत्पीड़न की त्रासदी झेलती हैं। सच तो है कि ये सब लोग भी कट्टरपंथियों की महिला विरोधी मानसिकता की गिरफ्त में हैं। जींस और स्कर्ट पहनकर लड़कियों को थोड़ा बहुत जो आजादी का अहसास होता है ये सब उसे भी इनसे छीन लेना चाहते हैं। समाज में पुरुषवादी मानसिकता इस कदर हावी है कि महिलाओं को कदम कदम पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। लानत है ऐसी मानसिकता रखने वाले नेताओं पर।
बहरहाल, पुरुष राजनेताओं की इन टिप्पणियों से जाहिर होता है कि जिन लोगों के हाथ में देश के भविष्य की कमान है, वे ही महिलाओं के प्रति विकृत्त सोच रखते हैं। इतिहास गवाह है कि महिलाओं पर यौन हिंसा का कारण उनके परिजन, उनका पहनावा या उनकी आजाद खयाली नहीं । यह तो वर्ग, जाति, धर्म, नस्ल और राष्ट्र के नाम पर हो रही लड़ाइयों में एक राजनीति हथियार के रूप में काम में लिया जाता रहा है। आजादी पश्चात देश के बंटवारे के समय, बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई, गुजरात नरसंहार, भटेरी सामूहिक बलात्कार कांड, सैनिकों द्वारा महिलाओं का यौन शोषण और न जाने कितने उदाहरण हैं जो चीख चीख कर पितृसत्ता के इस वहशियाना कृत्य को बेनकाब करते हैं। कोई गम नहीं यदि राजनीतिक दल भारतीय परिधान का जामा पहनाकर इस समस्या के हल का दिखावा करें किंतु महिलाओं को इसका पुरजोर विरोध करना ही है। (लेखक विविधा फीचर्स के संपादक हैं)

-बाबूलाल नागा
335, महावीर नगर, प्प्, महारानी फार्म,
दुर्गापुरा, जयपुर-302018
फोनः 0141-2762932
मोबाइल-9829165513

1 thought on “दोष पहनावे में नहीं आपकी मानसिकता में है”

  1. पहनावे का क्या संबध है बलात्कार की घटना का जो इसे स्त्री के पहनावे से जोड कर देख रहे है वह केवल दिलासा दिलाना मात्र है ताकि यहां भी कमी महिला वर्ग की ही निकले ।दिल्ली बस रेप पीडिता ने तो उस दिन सर्दीयों के पूरे ढके हुए वस्त्र पहने थे इतनी गिनौनी घटना हई जिसने सभी के मन को झकझोर दिया।
    http://chittachurcha.blogspot.com

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