पाकिस्तान: ईशनिंदा के आरोप में बच्ची गिरफ्तार

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की पुलिस का कहना है कि उसने एक ईसाई बच्ची को  तौहीन-ए-मज़हब यानी ईश-निंदा क़ानून के तहत गिरफ्तार किया है.

बीबीसी उर्दू सेवा के ज़ुल्फिकार अली का कहना है कि इस बच्ची की उम्र 11 वर्ष है. बच्ची पर कुरान-ए-कायदा का अपमान करके उसकी एक प्रति में आग लगाने का आरोप है.

पुलिस ने इस बच्ची को दफ़ा 295-डी के तहत गिरफ्तार किया है. उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में बाल-सुधारगृह भेज दिया गया है.

बच्ची की दिमागी हालत

ये बच्ची इस्लामाबाद के गांव मेहरआबाद की रहने वाली है.

कहा जाता है कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है, लेकिन उसे क्या बीमारी है, इस बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा गया है.

इस बारे में बच्ची की चिकित्सकीय जांच के बाद ही पता चल सकेगा.

 ईशनिंदा मामले में क़ैद किशोर को छोड़ा जाए

पुलिस ने बच्ची के माता-पिता को भी उनकी हिफ़ाज़त के मद्देनज़र ऐहतियातन हिरासत में ले लिया है.

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सद्भाव मंत्री डॉक्टर पॉल भट्टी ने बीबीसी को बताया कि ये बच्ची ज़ेहनी तौर पर कमज़ोर है और प्रतीत होता है कि ”कुरान को अपवित्र करने के पीछे उसका कोई मक़सद नहीं था.”

उन्होंने बताया कि ये घटना 17 अगस्त को जुमे की नमाज़ के बाद की है.

उन्होंने कहा, ”खबरों के मुताबिक, ये बच्ची में पास कचरे से भरा एक बैग था जिसमें कुरान भी थी. इससे कुछ लोग नाराज़ हो गए और भारी भीड़ जमा हो गई जो उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे.”

पॉल भट्टी ने बताया, ”हमने पुलिस ने मामले की जांच करने और बच्ची की चिकित्सकीय जांच खासतौर पर कराने के लिए कहा है. पुलिस पर लोगों का दबाव था, इसलिए उसे ये कार्रवाई करनी पड़ी.”

गांव वाले भागे

मेहरआबाद गांव में रहने वाले ईसाई लोगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि लगभग 600 लोग गांव से भाग गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें अपने घर लौटने के लिए कहा है और सुरक्षा का भरोसा दिलाया है.

मज़हबी नेताओं के रुख़ के बारे में पूछे जाने पर पॉल भट्टी ने कहा कि उन्होंने इस बारे में तमाम नेताओं से बात की है जिन्होंने सहयोग करने की बात कही है.

उन्होंने ये भी कहा कि क़ानून ग़लत नहीं है, क़ानून का ग़लत इस्तेमाल ज़रूर हो सकता है और इस मामले में लोगों को शिक्षित करने और उनमें सहिष्णुता बढ़ाने की ज़रुरत है.

 नहीं बदलेगा ईश निंदा क़ानून

पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता विवादित ईश-निंदा क़ानून में सुधार की मांग करते रहे हैं. इस क़ानून के तहत किसी व्यक्ति को कुरान अपवित्र करने के लिए उम्रकैद की भी सज़ा दी जा सकती है.

पाकिस्तान में इस तरह के मामलों में आमतौर पर भीड़ हिंसक होकर ईश-निंदा करने वाले को मार डालती है. यहां तक कि जिन नेताओं ने इस क़ानून में बदलाव की मांग की है, उन्हें भी निशाना बनाया गया है.

बीते साल इसी वजह से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज़ भट्टी की हत्या कर दी गई थी.

भट्टी की हत्या से दो महीने पहले ही इसी सिलसिले में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई थी.

 

 

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