मलाला के हमलावरों की जानकारी पर एक करोड़

पाकिस्तान ने मलाला युसुफज़ई पर गोली चलाने वालों से जुड़ी जानकारी देने वालों को एक करोड़ पाकिस्तानी रुपए बतौर इनाम देने की घोषणा की है.

इस बीच अमरीका की विदेशी मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान की 14 साल की बच्ची मलाला युसूफज़ई की हिम्मत की दाद दी है.

मंगलवार को तालिबान ने मलाला को स्वात घाटी में गोली मार थी. उनकी हालत पहले काफी नाज़ुक बनी हुई थी लेकिन बाद में उनके सिर में लगी गोली को सफलता पूर्वक बाहर निकाल दिया गय पर वे अब भी बेहोश हैं.

हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि लड़कियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली मलाला वाकई बहुत बहादुर है.

मलाला ने पिता ने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि अगले दो दिन मलाला के लिए बहुत अहम हैं. उन्होंने कहा, “ऑपरेशन तो सही हो गया है और सजून भी कम हो गई है. लेकिन आप सब लोग उसके लिए दुआ कीजिए. अगले 24 से 48 घंटे उसके लिए बहुत अहम हैं.”

‘बर्बर और क्रूर हैं वो’

वहीं मलाला के भाई मुबशिर हुसैन ने सभी पाकिस्तानों से हमले का विरोध करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि चरमपंथी ‘क्रूर और बर्बर’ लोग हैं.

तालिबान के प्रवक्ता एहसानउल्ला एहसा ने बीबीसी उर्दू से मंगलवार को कहा था कि अगर मलाल बच भी गई तो भी उसकी जान बख़्शी नहीं जाएगी.

बीबीसी संवाददाता अलीम मकबूल का कहना है कि अब प्रशासन को देखना होगा कि वो मलाला की रक्षा कैसे करे.

संवाददाता के मुताबिक मलाला के परिवार ने पहले सुरक्षा लेने के बारे में नहीं सोचा क्योंकि उन्हें कभी नहीं लगा कि चरमपंथी इतना नीचे गिर सकते हैं.

मंगलवार के हमले में दो और लड़कियाँ भी घायल हुई थीं जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है.

पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अशफाक़ कियानी अस्पताल में मलाला से मिलने गए. उन्होंने कहा कि तालिबान ये नहीं समझ नहीं पा रहा है कि उसने किसी आम बच्ची को नहीं बल्कि एक ऐसी बच्ची को गोली मारी है जो हिम्मत की प्रतिमूर्ती है.

पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में मलाला पर हुए हमले की निंदा करते हुए बुधवार को तालिबान के खिलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं.

मलाला ने वर्ष 2009 में 11 साल की उम्र में तालिबान के साए में ज़िंदगी के बारे में बीबीसी उर्दू के लिए डायरी लिखना शुरु किया था. उन्हें वर्ष 2011 में बच्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था.

पाकिस्तान की स्वात घाटी में लंबे समय तक तालिबान चरमपंथियों को दबदबा था लेकिन पिछले साल सेना ने तालिबान को वहां से निकाल फेंका था.

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