पाकिस्तान ने कसा लश्कर पर शिकंजा

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पाकिस्तान यात्रा को लेकर जारी संशय के बीच पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा पर शिकंजा कसना तेज कर दिया है। मुंबई हमले की सुनवाई कर रही रावलपिंडी स्थित विशेष अदालत में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी [एफआइए] के दो अधिकारियों ने शनिवार को गवाही के दौरान गुलाबी फोम समेत आतंकी शिविरों से जब्त 350 सामग्रियों का विस्तृत ब्योरा पेश किया।

पाकिस्तान में लश्कर के जिन सात आतंकियों पर इस हमले की साजिश रचने, उसके लिए पैसा मुहैया कराने और हमले को अंजाम देने का आरोप लगाया गया है उनमें लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी भी शामिल है। मामले की सुनवाई में बहुत धीमी प्रगति है और 160 से अधिक गवाहों में बहुत कम की गवाही हो पाई है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक विशेष अदालत ने बंद कमरे में एफआइए के उप निदेशक फकीर मुहम्मद और इंस्पेक्टर खालिद जमील के बयान दर्ज किए। विशेष अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली ने प्रेट्र को बताया कि दोनों अधिकारियों ने लश्कर के कराची और दो अन्य प्रशिक्षण शिविरों से बरामद 350 सामग्रियों का ब्योरा पेश किया। इनमें जीवनरक्षक जैकेट और पिंक फोम शामिल है। हमले के दौरान मुंबई के तीन स्थानों से बरामद गुलाबी फोम की जानकारी को सबसे अहम कड़ी के रूप में देखा जा है। गुलाबी फोम के ये नमूने आतंकियों द्वारा इस्तेमाल की गई एमवी कुबेर नामक नौका में भी पाए गए थे। इसके अलावा ताज होटल में मिले एक बैग और अजमल कसाब द्वारा इस्तेमाल किए गए थैले में भी गुलाबी फोम मिला था। पाकिस्तानी आतंकी कसाब को हाल ही में फांसी दी गई है। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी [एफबीआइ] ने भी भारत से उस गुलाबी फोम का नमूना मांगा था ताकि पाकिस्तानी जांचकर्ताओं द्वारा पाए गए फोम से उसका मिलान किया जा सके। 2009 में पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने भी कहा था कि पाकिस्तान भारत से उस गुलाबी फोम का फोरेंसिक डाटा चाहता है ताकि पाकिस्तान में मिले फोम से तुलना कर सके।

अली ने कहा कि गवाहों द्वारा पेश किए सामान का विस्तृत ब्योरा दर्ज करने में अदालत को करीब छह घंटे लगे। एफआइए के अधिकारियों ने इन चीजों को लश्कर के कराची, मीरपुरखास और सिंध के दो अन्य स्थानों पर स्थित प्रशिक्षण शिविरों से बरामद किया था। ये दोनों अधिकारी इस मामले के अहम गवाह हैं।

बचाव पक्ष के मुख्य वकील ख्वाजा हारिस अहमद शनिवार को अदालत में उपस्थित नहीं थे इसलिए इन गवाहों से जिरह नहीं हो सकी। बचाव पक्ष के अन्य वकीलों के आग्रह पर इस मामले की कार्यवाही न्यायाधीश हबीब-उर-रहमान ने 22 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। इन गवाहों से बचाव पक्ष तभी जिरह करेगा।

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