पेड़ से पत्तियां टूट कर गिर जाए इसका मतलब ये नहीं कि पेड़ ही गिर गया…..
हर पतझड़ के बाद बहार जरुर आती है।
निराश कायर होते हैं…..
कांग्रेस ने अपने इतिहास में ऐसे कई उतार चड़ाव देखे है
और इतिहास गवाह है कि हमने हार के बाद जबरदस्त वापसी की है….
परिवर्तन संसार का नियम है….हिंदुस्तान के इस जनादेश को स्वीकार करे …..
और अभी से जुट जाए कांग्रेस को मजबूत करने के लिए…..
इस वक्त कांग्रेस जागरूक कार्यकर्त्ता नोजवानों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । करारी हार हुई है, सीट्स भी कम जीती है ….इतिहास के सबसे बुरे दौर में भी हैं लेकिन याद रखिये…आज भी 10 करोड़ 70 लाख वोट है….
और ये हार नेताओं की नहीं है . नेता तो कभी लड़ाई में थे ही नहीं ….. पर्सप्शन की लड़ाई तो चुनाव से पहले ही हारी जा चुकी थी. ये हार है हम 10 करोड़ 70 लाख लोगों की जिन्होंने अपना वोट इस बुरे दौर में भी कांग्रेस को दिया ……
अब पार्टी को वापस खड़ा करने की जिम्मेदारी भी हमीं लोगों की है. नेता तो फिर गुट बना लेंगे, कार्यकर्त्ता की आवाज को दिल्ली पहुँचने से रोकेंगे… अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगे,अपने फायदे के लिए पार्टी को डूबाएंगे और मौका पड़ने पर” फुल छाप “भी हो जायेंगे लेकिन हम 10 करोड़ 70 लाख लोग….जीवन में कभी फुल छाप नहीं होंगे . इस हार को दिल पर ले लिया है कार्यकर्ताओं ने. कल से 100 वोटर कार्यकर्त्ता बनने की इक्छा जता चुके हैं ….
इस सैलाब से डरिये…जिस दिन तुम्हारे 4 करोड़ वोटर तोड़ लिए …उस दिन तख्ता पलट जायेगा…..और ये तख्ता पलट किसी अन्ना,किसी अरविन्द,किसी रामदेव,किसी evm,किसी उद्योगपति या किसी मीडिया हाउस के साथ षड्यंत्र करके नहीं करेंगे….. खुले आम करेंगे….सच के साथ करेंगे…….ये 10 करोड़ 70 लाख लोग आपको पांच साल में बताएँगे की सुनामी क्या होती है…..जनादेश क्या होता है.
आपने उम्मीद बेच कर सत्ता हासिल की है…….विश्वास कीजिये दो साल के भीतर आप पछतायेंगे कि मैंने झूठ क्यों बोला…….
-महेन्द्र गहलोत, वाट्स एप
दिल बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा है………..