एक वक्त था जब जनसंघ भाजपा और संघ परिवार को देश में हिंदू बहुसंख्यक होने के बाद भी वोट नहीं मिलते थे, लेकिन आज संघ अपने दम पर सत्ता में है और अपना अजेंडा लागू करने में लगा है. इसके लिये ये नकली धर्मनिरपेक्ष लोग हैं, जिनको सारी कमियां सनातन धर्म मे दिखती हैं, लेकिन अन्य मजहब पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं है. असली सेकुलर तो संत कबीर थे जो हर मजहब के पाखंड पर समान रूप से प्रहार करते थे. हैरत की बात ये है कि मुगल काल में कबीर इतनी खरी बात करने के बाद भी जिंदा रह गये और आज लोकतंत्र में पूरा सच बोल कर जिंदा नही रह पायेंगे. आमिर खान जैसा कथित समाज सुधारक भी आधा सच बोलेगा तो उदार हिंदू लोग मोदी में भविष्य देखेंगे ही. दुख इस बात का है कि नहीं चाहते हुए भी धु्रवीकरण हो रहा है और जिम्मेदार ये बेईमान बुद्धिजीवी हैं.
पत्रकार तीर्थ गोरानी की फेसबुक वाल से