मोदी जी रे नाम एक पातरी

dr. s g bahetiजोगलिखी अजमेर सूं श्रीमान मोदीजी न घणे मानसु राम राम।मोदीजी थाने राज दिया 1 साल सूं ऊपर व्हेग्यो पर पूत का पग पालण दी’ख पेट रोटी अर हाथ काम मांग पर था’न अमेरिका चीन और दूसरा देसा घूमण सूं फुर्सत मिल जर म्हारा पेट,म्हारी लुटती डूबती खेती कानी थारो ध्यान जाव,थारो ध्यान कद जावेलो बी छोरा कानी जो हाथ म डिग्री लिया एक दफ्तर सूं दुसरा दफ्तर ज्युत्या फाड़ रियो है।अ र बापजी खा बा न दाल तो आतरी पीबा न पाणी कोणी। पर हां म्ह कुण कबा आलो म्ह तो फकत एक बोट देवणियो हूं बोट दियो र 5 साल की राम राम।थे 5 साल का राजा और म्ह हाथ ज्योडा उबो हु की मेंगीवाडो कद घट लो ओर कद आसी आछा दिन।चुणाव म जो थाकि बाटा सुण राजी हुया बे अब कान में घंटया बजा रिया है। अ र भला आदमी की तो राम न माथ रा ख मंदर तो तू बणा या मत बणा पर राम की बात तो मान भला आदमी।
भूखा न रोटी,बेकारा न नोकरी,बीमार न दवाई,गरीब न मकान देवण री बाता कठ गी एक साल म ही भुलग्या तो 5 साल कियाँ याद रेसी मुश्किल लाग कदै कदै तो लॉग की थान तो लालकिले पर झंडो फेराणो हो बी म थे जितगा जनता जाव उंडे खाडा में।पण आ तो विचारो बड़ा आदम्या क ई लालकिला पर झंडो फेराबा क वास्त कित्ता हिन्दू मुसलमान सिक्ख ईसाई देस क वास्त लड्या ओर लड्या ही कोई नी बलिदान भी दियो।जो खून भियो बो सब को सब मिल लड्या अब क्यू न्यारा न्यारा।
बियां तो म मजूर पेट की फिकर म ही सारो दिन बीत जाव पर कदाइ क़दाई बीड़ी पीतो अखबार देखल्यू या टीवी पर निजर पड़ जाव और थाका मंत्र्या एमप्या न
उक चूक बोलतो देखु और था न चुप जर लॉग ठगिजग्यो क थाकि बाता म आग्यो।पण ध्यान राखज्यो——+
कबीरा हाय गरीब की कदे न खाली जाय।
मरे ढोर के चाम सूं लोह भस्म हो जाय।।
म गरीब हूँ बेरोजगार हूँ भूखो हूँ पण गद्दार नही आज भी देश क मान रे वास्त मरबा न रेड़ी हूँ और रोज बड़ा लोग न पुछू क ओ 56 इंची सीना आलो कद आँख म आँख मिला र बात करसी भारत म पाकिस्तानी झंडा फेराबाला सूं,कद बात क री देस में आतंक र हिंसा फेलाबाळा सूं और——कद आँख मिलाय बात करसी महंगाई सूं कि म्ह और म्हारा टाबर,बुडी माँ र बाप रोटी खा र सो वा।मोदीजी कम लिख्यो भत्तो मान ज्यो जी जनता सूं बोट लिया बेका गांवा भी ज्याज्यो जेका खेत उजड़ग्या बेन भी जार देख ज्यो। थाकि आंख्या खुल जाय क थे तो रोज नया नया गाबा पेरो और जी मतदाता न थें ई देस को ई लोकशाही को मालिक बताओ बो ई लाय म भी नंगा बदन और चिपक्योडि आतड्या लिया है काई ओइ रामराज है पछ रावण राज किस्यो हुव।म्ह लिख ही रियो हो कि लिखता लिखता गाँव का माड़साब आग्या कियो चतरया राम राम
म्ह कियो माड़साब पाय लागू
माड़साब पूछ्यो काई क ‘र रे चतरया
म्हें कियो माड़साब 56 इंची सीना वाळा मोदीजी न चिट्टी मांडू
माड़साब बोल्या रे चतरया क्यू स्याइ खराब कर काम लाग काल छोरा की फ़ीस भरणी है नही तो नाम काट जायलो चिट्टी बेरा म पटक। माड़साब बोल्या बावला थारी चिट्टी कुण पढ़सी दिल्ली आला गाँव की भासा गाँव की आब हवा मान मनवार या गाँव की सचाई की नी जाड़े बेकी दुनिया और बे को अर्थशास्त्र न्यारो ही है।बे जाण अडाणी न बे जाण अम्बानी न बे काई जाण खेत काई जाण हल और काई जाण खेती बे जाण गोदामा न नही जान खलिहाना न।उठ और काम पर लाग।
माड़साब की बाता सुणताइ कलम रुकेगी।
राजियो सही कियो——/
आंधा चढ़िया ऊंट,चढियोडा हाक्या घणा
गई नकेलि टूट,रामजी राख राजिया।
पूर्व कांग्रेस विधायक डा श्रीगोपाल बाहेती की फेसबुक वाल से

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