क्या धर्मेन्द्र गहलोत को अभयदान मिल चुका है?

ऐसी चर्चा है कि अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को गुप्त रूप से अभयदान मिल चुका है। बेशक राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जिस प्रकार के हालात पैदा हुए, उससे लगने लगा था कि गहलोत शहीद कर दिए जाएंगे। इस आशंका को इसलिए भी बल मिला क्योंकि कांग्रेस का राज आते ही निगम आयुक्त चिन्मयी गोपाल से उनका तल्ख टकराव शुरू हो गया। बताया यही गया कि सरकार की मंशा के अनुरूप ही चिन्मयी ने अपना तीखा रुख अख्तियार किया, मगर इसके पीछे अधिकारियों की अपनी राजनीति भी रही। बात ये भी सही है कि सत्ता परिवर्तन के बाद गहलोत ने बाकी का कार्यकाल शांति से बिताने का मानस बनाया था, मगर हालात की कुछ ऐसे बने कि उन्हें अपने चिरपरिचित अंदाज में आना पड़ा। उनकी विरोधी लॉबी ने चिन्मयी का सहारा लेकर हमले करना जारी रखा। गहलोत तनिक गुस्सैल तो हैं ही, इस कारण भिड़ गए, मगर शुभचिंतकों ने यही राय दी कि टकराव से नुकसान ही होगा। राजनीतिक हलकों से ताजा जानकारी यही आ रही है कि भले ही उनकी नाइत्तफाकी चिन्मयी से जारी है, कभी बढ़ती भी दिखाई देती है, मगर उन्होंने इतना तो मैनेज कर लिया है कि वे अपना बाकी का कार्यकाल पूरा कर ही लेंगे। यह सही है कि उनकी छवि धाकड़ नेता की है, मगर मेयर पद के दूसरे कार्यकाल में उन्होंने बड़ी चतुराई से सबको मैनेज किया है।

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