मोदी जीतें या हारें, दोनों में परेशानी

गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद हुए एक्जिट पोल से तो यही माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी हैट्रिक बनाने जा रहे हैं। हर सर्वे का परिणाम यही है कि अधिक मतदान मोदी के पक्ष में गया है। कानाफूसी है कि अगर सर्वे सही निकलता है तो और नहीं तो भी वे भाजपा की परेशानी बनने जा रहे हैं।
अगर वे भारी मतों से जीतते हैं तो वे स्वाभाविक रूप से भाजपा में प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो जाएंगे। धरातल का कार्यकर्ता मोदी को ही प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट करने के लिए आक्रामक हो जाएगा। यह अन्य दावेदारों को नागवार गुजरेगा। न केवल अपनी दावेदारी खिसकने की वजह से, अपितु नीतिगत रूप से भी कट्टर हिंदूवादी चेहरे पर अन्य सहयोगी दलों का पूरा सहयोग न मिलने के कारण। ज्ञातव्य है कि भाजपा के प्रमुख सहयोगी बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार पहले ही मोदी के नाम का विरोध कर चुके हैं। यानि कि नीचे से मोदी के पक्ष में दबाव बनेगा तो साथी दलों की ओर से विरोध में दबाव बनेगा। इस स्थिति से निपटना मुश्किल होगा।
अगर मोदी हार जाते हैं तो भी भाजपा को परेशानी होगी। इसकी वजह ये है कि जो मोदी इन दिनों भाजपा के आइकन बन चुके हैं, वे ही हार जाते हैं तो इससे पूरी भाजपा का मनोबल गिरेगा और कांग्रेस के हौसले बुलंद हो जाएंगे। कुल मिला कर दोनों ही स्थितियां परेशानी वाली हैं।

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