सोहराबुद्दीन प्रकरण में पूर्व गृह मंत्री और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए जाने पर भले ही भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी ने कटारिया के पक्ष में बयान जारी किया हो, मगर कानाफूसी है कि वे मन ही मन तो खुश ही होंगी, बयान तो पार्टी की एकजुटता जाहिर करने की एक औपचारिकता मात्र है। श्रीमती माहेश्वारी ने कहा है कि कांग्रेस प्रतिशोध की राजनीति कर के अपने विरोधियों को आपराधिक प्रकरणों में उलझा रही है। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और राज्य के प्रतिष्ठित उद्यमी कांग्रेस की इसी राजनीति के शिकार बने हैं।
असल में वसुंधरा और संघ लॉबी के बीच सुलह के बाद भले ही कटारिया पूरी सद्भावना के साथ सुराज संकल्प यात्रा में जुटे हुए हैं, मगर माना यही जाता है कि मेवाड़ में आज भी कटारिया और किरण की लॉबी पूरे दमखम के साथ एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी है। ऊपर से भले ही दोनों एकजुटता दिखा रहे हैं, मगर उनका कार्यकर्ता बंटा हुआ ही है। इस प्रकार के संकेत मेवाड़ अंचल की यात्रा के दौरान भी नजर आए थे। असल में दोनों भले ही एक समझौते के तहत वसुंधरा के मामले में एक हैं, मगर आपस में उनमें छत्तीस का आंकड़ा है, चाहे वे दोनों इससे इंकार करें। आपको याद होगा कि प्रदेश भाजपा में पिछले दिनों जबरदस्त संकट तब गहराया था, जब किरण ने कटारिया की प्रस्तावित यात्रा का विरोध किया था। तब वसुंधरा भी खम ठोक कर आर-पार की लड़ाई पर उतर आई थीं। कोई लाख कहे कि अब कटारिया व किरण में सुलह हो गई है, मगर कानाफूसी यही है कि वे कभी एक हो ही नहीं सकते। ताजा मामले में कटारिया के फंसने का सीधा-सीधा लाभ किरण को ही मिलने वाला है। वे और ताकतवर हो कर उभर सकती हैं। ऐसे में भला वे मन ही मन खुश क्यों नहीं हो रही होंगी? सिक्के का दूसरा पहलु ये भी है कि भाई साहब के नाम से जाने जाने वाले कटारिया की छवि साफ-सुथरी है, इस कारण संभव है कि उनके प्रति कार्यकर्ताओं में संवेदना उभर आए और वे और बड़े नेता बन कर उभरें।