हिम्मत नहीं हारी है अभी कांग्रेस ने

Sonia-Gandhiकिसी पार्टी या गठबंधन को साफ बहुमत नहीं मिलने के आसार को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की गतिविधियां तेज हो गई हैं। समान विचारधारा की पार्टियों को एकजुट करने के लिए कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है, ताकि नरेंद्र मोदी और बीजेपी को सत्ता पर काबिज होने से रोका जा सके। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐसी कुछ रीजनल पार्टियों के नेताओं से संवाद का सिलसिला शुरू किया है, जो यूपीए सरकार का हिस्सा नहीं हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिलने की सूरत में इन क्षत्रपों का रोल बेहद अहम हो सकता है।

सूत्रों की मानें तो तकरीबन एक हफ्ता पहले सोनिया गांधी ने निजी तौर पर तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी से संपर्क साधा था। यह काम मोदी और ममता के बीच चुनाव प्रचार के दौरान वार-पलटवार के बाद हुआ। सूत्रों के मुताबिक, सोनिया-ममता के इसी संवाद से प्रेरित होकर राहुल गांधी ने हाल में पश्चिम बंगाल की एक रैली में यह बताने की कोशिश की थी कि ममता बनर्जी का दिल कितना साफ है। हालांकि, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुकाबले के मद्देनजर कई नेताओं ने इस पर ऐतराज भी जताया था। कांग्रेस पार्टी बहुजन समाज पार्टी की बॉस मायावती और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के भी संपर्क में है। मोदी ने उत्तर प्रदेश में इन दोनों नेताओं पर करारा प्रहार किया था। कांग्रेस के एक नेता ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘सब कुछ 16 मई (काउंटिंग डे) के वास्तविक आंकड़ों पर निर्भर करता है। हालांकि, सबसे बड़ी बीजेपी विरोधी पार्टी होने के नाते कांग्रेस यूपीए के बाहर भी समान विचारधारा वाली पार्टियों से संपर्क में है।’

सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने ही मायावती और सोनिया गांधी के साथ अनौपचारिक बातचीत की पहल की है। कांग्रेस ने मोदी समर्थक बाबा रामदेव पर हमले के लिए मायावती को शाबाशी का संदेश भेज दिया है। रामदेव ने राहुल गांधी के घरों में दलितों के जाने के मामले में विवादास्पद बयान दिया था। मायावती ने कांग्रेस के उस आरोप का भी समर्थन किया था कि नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उनकी जाति को ओबीसी यानी पिछड़ी जाति की कैटेगरी में शामिल किया गया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच भी संवादों का सिलसिला शुरू है। दोनों पार्टियों ने पहले ही दूसरी पार्टी के प्रमुख नेताओं के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारकर इसके संकेत दे दिए हैं।

error: Content is protected !!