राष्ट्र प्रथम है का भाव जगाने का कार्य करता है संघ-रामदत्त जी

संघ शिक्षा वर्ग के प्रथम बर्ष का हुआ भव्य समापन समारोह
स्वयंसेवकों ने किया प्रदर्शन,उपस्थितों ने की सराहना
महाकौशल प्रांत के 14 जिलों के स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण
4-डा. एल. एन. वैष्णव- दमोह/ राष्ट्र प्रथम का भाव जागृत करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार करता आ रहा है,व्यक्ति निर्माण राष्ट्रोत्थान के कार्य में लगे संघ आज चर्चा एवं जिझासाओं का कारण बना हुआ है, परन्तु नजदीक से देखने पर पता चलता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है यह बात क्षेत्रीय प्रचारक माननीय रामदत्त जी ने कही। वह स्थानीय केशवनगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के विशाल प्रांगण में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन अवसर पर उपस्थित प्रशिक्षणार्थी स्वयंसेवकों एवं गणमान्य नागरिकों को संबोधित कर रहे थे। इन्होने कहा कि देश में भीड तो है परन्तु देश को प्रथम मानने वालों की कमी आज भी दिखलायी देती है? गत कुछ दशक पूर्व हुये एशीयाड खेलों के दौरान आयी एक अमेरिकी खिलाडी युवती के कलकत्ता दौरे का वृतांत सुनाते हुये इन्होने कहा कि वह कलकत्ता की गंदगी के बारे में पूछती है कि यहां की गंदगी साफ करने के लिये कितने और लोगों की आवश्यकता पडेगी? अगर सब अपनी जिम्मेदारी को समझें राष्ट्र को प्रथम मानने लगें तो कोई समस्या नहीं रहेगी। रामदत्त जी ने कहा कि हिन्दुओं के संगठन के बारे में विभिन्न प्रकार की बातें चलती रहती हैं कुछ लोग साम्रदायिक होने की बात करते हैं? इन्होने कहा कि यह सब निराधार बातें हैं अरे जो जहरीले नाग को दूध पिलाने और चीटीं को शक्कर खिलाने तथा पेड पौधे पशु पक्षी में भी जीव और ईश्वर के वास होने का विश्वास रखता हो वह कैसे साम्रदायिक एवं संकुचित हो सकता है? समानता और समरसता का भाव लेकर सम्पूर्ण विश्व की शांति की बात करने वाले हैं हम सब। देश के महान संतो के बारे में विस्तार से बात रखते हुये कहा कि सभी ने एक ही भाव लेकर कार्य किया है कि भारत एक राष्ट्र है। रामदत्त जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयं की प्रेरणा से देश के लिये कार्य करने वालों का संगठन है। इसमें किसी भी प्रकार की जाति पाति,लिंग भेद का स्थान नहीं है समरसता का भाव लेकर अपनी स्थापना से लेकर लगातार कार्य करता आ रहा है। इसीलिये आप देखते होंगे कि कहा जाता है एकसह:सम्पत यह नहीं कहा जाता कि पहले आप फिर दूसरा?राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा दिये गये विभिन्न योगदानों को विस्तार से बतलाया। रामदत्त जी ने कहा कि राष्ट्र ही नहीं सम्पूर्ण विश्व इस समय तीन समस्याओं से जूझ रहा है वह वैश्विक आंतकवाद,ग्लोवल वार्मिंग,वैश्विक मंदी तीनों की समस्या का समाधान हिन्दुत्व में छिपा हुआ है जिसको इन्होने विस्तार से बतलाया। विश्व में बढती एक सदस्यीय परिवारों की संख्या पर विचार रखते हुये कहा कि यह चिंतन का विषय है और इसका समाधान भी देश के दर्शन में छिपा हुआ है। साथ ही संयुक्त परिवार की अवधारणा को भी सामने रखा। अपने  उद्बोधन में अनेक बार उपस्थितों को चिंतन मनन करने पर मजबूर करते हुये इन्होने कहा कि इस पुण्य भूमि भारत का पत्थर बनना भी सौभाग्य की बात कही जाती है फिर हम तो मनुष्य हैं हम से सौभाग्यशाली कौन है? इस से भी ज्यादा सौभाग्य की बात तो यह है कि हम सब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। संघ की स्थापना के विषय में कहा कि राष्ट्रोत्थान,सामाजिक समरसता का भाव लेकर कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में नागपुर में डा.केशवराम बलिराम हेडगेवार द्वारा कुछ नन्हे मुन्हे बच्चों के साथ प्रारंभ किया गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब एक विशाल बट वृक्ष बन कार्य कर रहा है। देश एवं हिन्दु समाज की दुर्दशा देखते हुये चिंतन एवं मनन किया कि सम्पूर्ण समाज की कमजोरी क्या है? जातिवाद एवं समुदायों में बटे विशाल समाज को एक नई दिशा देने एवं एकजुट कर राष्ट्रोत्थान के कार्यों में लगाने हिन्दु एक है का भाव पैदा करने का लक्ष्य लेकर संघ की स्थापना की थी। मंच पर वर्गाधिकारी रविन्द्र जी श्रीवास्तव एवं कार्यक्रम अध्यक्ष घनश्याम जी पटैल की विशेष रूप से उपस्थिति रही।
दिलाया संकल्प-
अपने प्रेरणादायी उद्बोधन के अंत में रामदत्त जी ने कहा कि आज गंगा दशहरा का पवित्र दिन है। हम सबको सरकार के भरोसे रहने की आवश्यकता नहीं है गंगा को स्वच्छ तो बनाना ही है साथ ही हम सब संकल्प लें कि अपने क्षेत्र की नदी,तालाब,कुओं को स्वच्छ और निर्मल बनाने में अपना योगदान दें।
स्वयंसेवकों का प्रदर्शन-
1सत्य का आधार लेकर हम हिमालय से खडे हैं की पंक्तियों के एक स्वर में गायन ने उपस्थित जन समूह को रोचंचित कर दिया। जी हां एैसा ही कुछ अवसर था उक्त समारोह का जब उक्त संघ शिक्षा वर्ग के समापन अवसर पर स्वयंसेवकों ने गीत के पश्चात् प्रस्तुतियां देना प्रारंभ किया। नियत समय पर सम्पत तथा अधिकारी आगमन के साथ ध्वजारोपणम एवं प्रार्थना के बाद स्वयंसेवकों ने शारीरिक प्रदर्शन प्रारंभ किया। इस अवसर पर श्रीराम,श्री शिव,श्री लक्ष्मण एवं पवनपुत्र के भेष को धारण किये स्वयंसेवक विशेष आर्कषण का केन्द्र रहे वहीं साथ में चलने वाले जामवंत एवं वानरों ने भी सबको आकर्षित करने का कार्य किया। स्वयंसेवकों ने दण्ड ,नियुद्ध,दण्डनियुद्ध,मनोरे/गोपुर,योगासन,घोषव्यायाम योग,सूर्य नमस्कार को प्रस्तुत कर सबको आश्र्चय चकित कर दिया। भारत माता के रूप में एक स्वयंसेवक भी आकर्षण का केन्द्र बना रहा।
किसने क्या कहा –
उक्त संघ शिक्षा वर्ग के सर्व व्यवस्था प्रमुख एवं सागर विभाग के विभाग कार्यवाह रामलाल जी ने वर्ग के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हुं मातृ भूमि अभी तुझ को और कुछ दूं। वर्ग का प्रतीवेदन कैलाशनाथ जी वर्गवाह ने प्रस्तुत करते हुये कहा कि महाकौशल प्रांत में आठ विभाग एवं उन्नतीस जिले हैं जिसमें चार विभाग के चौदह जिलों का यह वर्ग दमोह में आयोजित किया गया था। 21 दिनों तक चले उक्त वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों के भोजन के लिये रामरोटी एकत्रित करने प्रतिदिन छै:सौ परिवारों से संपर्क किया गया। जिसमें प्रतिदिन छै:हजार रोटियां एकत्रित की गयी। हमने इस दौरान 12 हजार 600 परिवारों से संपर्क किया तथा 1 लाख 26 हजार रोटियां एकत्रित की। इन्होने वर्ग सम्पन्न कराने में समस्त सहयोगियों का आभार भी व्यक्त किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष घनश्याम जी पटैल ने कहा कि मनुष्य को सेवा एवं सहयोग के लिये सदैव तत्पर रहना चाहिये। एैसा करने वाले को भगवान ठीक उसी रूप में लौटाता है जैसे कि एक गेंहु का दाना बौने पर उसकी पैदावार होती है।

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