गे भड़काने के लिए बीजेपी सांसद राघव लखनपाल को जिम्मेदार

lahanpalलखनऊ / उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हाल में हुए दंगों की जांच के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। रिपोर्ट में दंगे भड़काने के लिए बीजेपी सांसद राघव लखनपाल को जिम्मेदार ठहराया गया है और साथ ही स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उधर, बीजेपी ने इस रिपोर्ट को ‘राजनीतिक रुप से प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया है। लखनपाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिन लोगों ने दंगे कराए वहीं अब जांच रिपोर्ट बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सहारनपुर दंगे को शांत कराने में उनके प्रयासों की जहां सभी सराहना कर रहे हैं, वहीं रिपोर्ट में उन्हीं पर आरोप लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि सरकार उन्हें दंगा शांत कराने के लिए धन्यवाद देती।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह एक राजनीतिक पार्टी की रिपोर्ट है इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। इससे पहले, एसपी के जनरल सेक्रेटरी नरेश अग्रवाल ने बताया कि यूपी के लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में गठित जांच दल ने हाल में मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में साफ दर्शाया गया है कि अधिकारियों की नाकामी से यह दंगा हुआ। यह साम्प्रदायिक नहीं, बल्कि लापरवाही का दंगा था। अग्रवाल ने कहा, दंगे में वहां के एक बीजेपी सांसद की भूमिका भी सामने आई है।

सूत्रों के मुताबिक, जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में बीजेपी के स्थानीय एमपी राघव लखनपाल पर शहर में घूम-घूमकर दंगाइयों को उकसाने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक दंगे के लिए प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार रही है और फसाद भड़कने के बाद ही प्रशासनिक अमला सक्रिय हुआ।

बीजेपी ने किया खारिज

लखनपाल ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि आगामी उपचुनाव में एसपी एक वर्ग विशेष का वोट बैंक अपने पाले में करने के लिए ऐसा कर रही है और इस तरह उसने एक घटिया राजनीतिक सोच का परिचय दिया है। बीजेपी ने रिपोर्ट को विरोधाभासी बताया है। बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट एक तरफ तो दंगे के लिए प्रशासनिक नाकामी को जिम्मेदार ठहराती है, वहीं एक बीजेपी सांसद पर भी आरोप लगाती है। जब प्रशासन की नाकामी सामने आ रही है तो इसके लिए बीजेपी कैसे जिम्मेदार हो सकती है। उन्होंने कहा कि एसपी राजनीतिक फायदा लेने के लिए बीजेपी पर आरोप लगा रही है। पाठक ने कहा कि वह जांच समिति एसपी की थी, राज्य सरकार की नहीं। आप उस एसपी से और क्या उम्मीद कर सकते हैं जो अपनी ही सरकार की नाकामी को छिपाती रहती है।

एसपी-बीजेपी मिले हुए हैं: मायावती

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने एसपी और बीजेपी दोनों को निशाने पर लेते हुए कहा कि राज्य में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने में दोनों पार्टियों की मिलीभगत है। मायावती ने कहा कि ‘असल बातें’ दबा दी गई हैं। लिहाजा, रिपोर्ट का कोई खास मतलब नहीं रह जाता।

प्रधानमंत्री कथनी-करनी को एक करें: कांग्रेस

कांग्रेस ने यह कहते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने इस शब्दों पर अमल करना चाहिए कि सांप्रदायिकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और वह अपनी पार्टी के लोगों के सामने इस मुद्दे को सख्ती से उठाएं। रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, ‘यह बहुत दुख का विषय है। मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, हर जगह वीएचपी और बीजेपी के सदस्यों के नाम आए हैं। एक तरफ लाल किले से भाषण देते हुए प्रधानमंत्री देश से कहते हैं कि सांप्रदायिकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दूसरी तरफ, उनकी पार्टी के लोग ऐसी गलत गतिविधियों में शामिल होते हैं। प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी के लोगों से इस बारे में सख्ती से बात करनी चाहिए।’

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि 26 जुलाई को सहारनपुर के कुतुबशेर इलाके में एक विवादित स्थल पर निर्माण कार्य को लेकर दो अल्पसंख्यक समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई थी। 20 अन्य जख्मी हो गये थे। दंगाइयों ने अनेक दुकानें जला दी थीं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दंगे की जांच के लिए लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में एक दल गठित किया था। इस दल में ग्रामीण विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप, प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकान्त ओझा, युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष आशू मलिक और मुरादाबाद के एसपी जिलाध्यक्ष हाजी इकराम कुरैशी भी शामिल थे।

error: Content is protected !!