पुणे. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे 24 फरवरी से मोदी सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, कालाधन और लोकपाल के मुद्दे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। अन्ना के इस आंदोलन में एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर समेत 17 सामाजिक संगठन भी शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक, अन्ना की कोर कमिटी की गुरुवार को हुई बैठक में आंदोलन को लेकर अंतिम फैसला हो गया। सूत्रों के मुताबिक, अन्ना हजारे की इस मुहिम को आप आदमी पार्टी का भी साथ मिल सकता है। आप नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि अन्ना कोई भी सामाजिक आंदोलन करें, उसमें आम आदमी पार्टी हमेशा उनके साथ रहेगी। हालांकि, आम आदमी पार्टी की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।
बता दें कि दिल्ली चुनावों से पहले ही अन्ना ने इस आंदोलन की चेतावनी दी थी। अन्ना पिछले कई दिनों से कालाधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में हुई बीजेपी की हार के लिए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराया था।
अन्ना ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “मोदी ने भ्रष्टाचार पर अपना वादा नहीं निभाया। नई सरकार को जितना समय देना चाहिए था, उतना दे दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से पहले जो आश्वासन दिया, वह पूरा नही किया। मैं सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करूंगा।” इससे पहले, अन्ना ने कालेधन के मुद्दे पर मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह संसद के शीतकालीन सत्र तक इंतजार करेंगे। अगर उसके बाद भी अगर कालाधन वापस लाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वह मोदी के खिलाफ जनता को साथ लेकर सड़कों पर उतरेंगे।
गोविंदाचार्य और जेठमलानी को साथ लेने की कोशिश
अन्ना ने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का मन तो बना लिया है, लेकिन प्रस्तावित आंदोलन में साथ देने के लिए इस बार उनके पास न तो केजरीवाल हैं और न ही किरण बेदी या वीके सिंह। ऐसे में अन्ना को ऐसे चेहरों की दरकार है, जो उनके आंदोलन को कामयाब बना सकें। इस क्रम में भाजपा के पूर्व नेता गोविंदाचार्य और पूर्व सांसद राम जेठमलानी के नाम चर्चाओं में हैं। अन्ना से कुछ दिन पहले गोविंदाचार्य ने मुलाकात भी की थी। जहां तक जेठमलानी का सवाल है, तो कभी मोदी भक्त रहे मशहूर वकील अब भाजपा से दूर हो चुके हैं। ऐसे में, अन्ना को इनका साथ मिल सकता है