योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से हटाया

prashant-yogendra-आम आदमी पार्टी के थिंक टैंक समझे जाने वाले योगेंद्र यादव और फाउंडर मेंबर प्रशांत भूषण को ‘बगावत’ की सजा देते हुए उनकी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (पीएसी) से छुट्टी कर दी गई है। दिल्ली में बुधवार देर रात तक चली आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दोनों को पीएसी से हटाने पर अंतिम मुहर लगाई गई। इसके साथ ही कार्यकारिणी ने अरविंद केजरीवाल का संयोजक पद से दिया इस्तीफा भी नामंजूर कर दिया।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कुमार विश्वास ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया, ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के मिशन विस्तार और अनुशासन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके साथ ही पार्टी के दो वरिष्ठ साथियों को पीएसी से हटाने और भविष्य में नई जिम्मेदारी देने का फैसला किया गया। कार्यकारिणी ने केजरीवाल का संजोयक पद से दिया इस्तीफा भी नामंजूर कर दिया। इस बारे में उन्हें बता दिया गया है।’
यह पहले से ही तय माना जा रहा था कि खुलकर पार्टी की कार्यशैली की आलोचना कर रहे योगेंद्र यादव के खिलाफ आम आदमी पार्टी कार्रवाई कर सकती है। केजरीवाल द्वारा आम आदमी पार्टी के संयोजक का पद छोड़ने की खबर आने के बाद मामला सुलझने के आसार दिख रहे थे, मगर ऐसा हो नहीं सका। हैरत की बात यह रही कि 11 सदस्यों ने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के खिलाफ वोट दिए, जबकि आठ वोट दोनों के पक्ष में पड़े। रात करीब पौने आठ बजे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण बैठक से बाहर निकले। योगेंद्र यादव ने पार्टी के फैसलों की जानकारी तो नहीं दी , लेकिन वह काफी बुझे-बुझे नजर आ रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मुझे केवल इतना ही कहना है कि आम आदमी पार्टी इस देश के हजारों कार्यकर्ताओं के खून पसीने से बनी हुई पार्टी है। यह पार्टी देश में न जाने कितने लोगों की आशा का पुंज है। चाहे जो हो, ये आशा नहीं टूटनी चाहिए। ये आशा बनी रहनी चाहिए। मैं पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता की तरह, पार्टी जो भूमिका देगी उसे निभाने की कोशिश करूंगा।’
गौरतलब है कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण कई दिनों से पार्टी चीफ अरविंद केजरीवाल से नाराज चल रहे थे। दोनों ने पार्टी के काम करने के तरीके को लेकर सवाल उठाए थे और इसमें बदलाव की मांग भी की थी। इसके बाद आम आदमी पार्टी दो खेमों में बंटती नजर आ रही थी। केजरीवाल समर्थक खेमे के नेताओं ने भूषण और योगेंद्र यादव के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी, जिससे मामला गंभीर होने के संकेत मिले थे।
प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव द्वारा केजरीवाल को चिट्ठी लिखने और उसके बाद मीडिया में दिए बयानों से साफ दिख रहा था कि उनका संवाद केजरीवाल से टूट गया है।

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