स्टैचू ऑफ यूनिटी में ‘खो’ गए सरदार पटेल

patelवडोदरा / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट ‘द स्टैचू ऑफ यूनिटी’ को लेकर एक अप्रत्याशित विवाद सामने आया है। गुजरात के आणंद जिले में स्थित करमसाड़ कस्बे के लोगों को सरदार वल्लभभाई पटेल की यह मूर्ति कुछ खास पसंद नहीं आ रही है। इसी कस्बे में सरदार पटेल का पैतृक निवास स्थान है। कस्बे के लोगों का कहना है कि पटेल की जो मूर्ति बनाई जा रही है उममें वह ‘तेज’ नहीं दिखता जो सरदार पटेल में था।
पिछले साल दिसंबर में ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ के 18 फीट ऊंचे प्रतिरूप को करमसाड़ में प्रदर्शित किया गया था। कस्बे के निवासियों के साथ-साथ पटेल के वंशजों ने मूर्ति को देखने के बाद इसके डिजाइन में संरचनात्मक परिवर्तन करने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (एसवीपीआरईटी) को कुछ सुझाव दिए थे। इस ट्रस्ट का गठन प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए किया गया है।
पिछले सप्ताह राज्य की मुख्यमंत्री ने जब बारदौली जिले के बाबन गांव में सरदार पटेल की मूर्ति के 30 फीट ऊंचे प्रतिरूप पर से पर्दा उठाया, तो उस मूर्ति को देख करमसाड कस्बे के लोग नाराज हो गए। उनका कहना है कि उनके दिए गए सुझावों पर ट्रस्ट ने कोई ध्यान नहीं दिया।
इस प्रॉजेक्ट को पूरा करने का कॉन्ट्रैक्ट लारसन ऐंड टूब्रो (एलऐंडटी) को मिला है, जबकि मूर्ति के निर्माण का कार्य पद्मश्री पुरस्कार विजेता और जाने-माने मूर्तिकार राम वी सुतार के जिम्मे है।
सरदार पटेल के भतीजे मनुभाई के बेटे भूपेंद्रभाई पटेल ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘हमने करमसाड मेमोरियल में प्रदर्शित किए गए मूर्ति के प्रतिरूप को देखकर उसमें संशोधन के लिए कुछ सुझाव दिए थे। उस मूर्ति में सरदार पटेल के तेज और व्यक्तित्व की झलक नहीं मिल रही थी। मूर्ति का चेहरा भी निस्तेज लग रहा था।’
सरदार पटेल के घर और उनके प्राइमरी स्कूल को नैशनल हेरिटेज स्टेटस दिलाने के लिए आंदोलन कर रही टीम करमसाड के रमेश पटेल कहते हैं, ‘हमने बारदोली में लगे मूर्ति के प्रतिरूप के निर्माण के समय ही 15-पेज का प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें मूर्ति में किए जा सकने वाले जरूरी बदलावों के बारे में बताया गया था। मूर्ति के इस प्रतिरूप में सरदार पटेल का तेज कहीं नजर नहीं आता। यहां तक की इसका चेहरा भी सरदार पटेल के चेहरे जैसा नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘यहां तक इससे छोटी प्रतिमाएं भी सरदार पटेल को सही से नहीं दिखाती हैं। स्टैचू ऑफ यूनिटी को छोटी से छोटी डीटेल को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए।’ टीम करमसाड ने सुझाव दिया है कि कुछ बड़े आर्टिस्ट्स की एक कमिटी बनाई जाए जो कि समय-समय पर इस प्रॉजेक्ट को देख सके। वहीं एसवीपीआरईटी के एक अधिकारी ने कहा कि हम प्रॉजेक्ट में बदलाव कर सकते हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘यहां तक की बारदोली में भी हमने स्थानीय लोगों और जाने-माने इतिहासकारों से सुझाव लिए थे।’

error: Content is protected !!