करियर लिफ्ट एड-टेक के संस्थापक गुप्ता से बातचीत

ऽ आपके पास उच्च शिक्षा में व्यापक नेतृत्व अनुभव है। शिक्षा और प्रौद्योगिकी के बीच आप किन क्षेत्रों में अधिव्यापन देखते हैं?
करियर लिफ्ट एड-टेक के संस्थापक नितिल गुप्ता कहते है कि शिक्षा का उद्देश्य सही जानकारी को संचारित करना और छात्रों को ज्ञान प्रदान करना है, और प्रौद्योगिकी शैक्षिक संस्थानों को इस उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। आज की अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया में, प्रौद्योगिकी संचार को मजबूत करने में मदद करती है। समय के साथ शैक्षणिक तरीकों का विकास धीमा रहा है, और नतीजतन, ये विधियां आज अपर्याप्त साबित हुई हैं। इन्हीं कारणों से शैक्षिक संस्थान ज्यादा से ज्यादा आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं।

ऽ एक करियर काउन्सर्ल के रूप में, आज की युवा पीढ़ी को आप क्या सलाह देंगे?
हर दिन अपने जीवन को मूल्यवान बनाएं। हर किसी से अलग होने के लिए, हमें कुछ अलग करना चाहिए। संस्था में जो पढ़ाया जाता है उसका अध्ययन करना ही केवल पर्याप्त नहीं है। आपको रुचि के अन्य पाठ्यक्रम, प्रतियोगिताओं में भाग लेना, सेमिनार/अतिथि व्याख्यान आदि में भाग लेकर अपने ज्ञान को समृद्ध रखना चाहिए।

ऽ शैक्षिक प्रौद्योगिकी में आप किस बात से आकर्षित हुए और इस क्षेत्र में आप कैसे पहुंचे?
नितिल गुप्ता के अनुसार भारत ने आईटी सेवाओं को आउटसोर्स करने वाले अधिकांश विकसित देशों के साथ सॉफ्टवेयर विकास और सूचना प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में शुरुआत की। डंामडलज्तपच और लंजतं.बवउ के साथ पर्यटन उद्योग में सूचना प्रौद्योगिकी की यात्रा, जो कि दंनातपण्बवउ जैसे प्लेटफार्मों में विस्तारित हुई, जिसने युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराए, बाद में ई-कॉमर्स की अवधारणा पर फ्लिपकार्ट के प्रवेश करने से हमारा ध्यान आकर्षित किया, और जल्द ही ओला, ज़ोमैटो जैसे ऐप आए।
सेवाओं के इस व्यापक डिजिटलीकरण के बावजूद, भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं, जहां प्रौद्योगिकी का उपयोग अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं किया गया था। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में काम करने के बाद, मैं यहां कि समस्याओं को बेहतर समझता हूं। इसलिए, मैं और मेरी टीम शैक्षिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी-सक्षम बनने के लिए काम कर रही हैं, जो भारत में शिक्षा क्षेत्र को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
ऽ आपकी कंपनी का मौलिक प्रस्ताव क्या है?
हमारा यह दृढ़ विश्वास हैं कि प्रौद्योगिकी भारत के अविकसित शिक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से बदल देगी और उसमें अनेक बदलाव ला सकती है। हम एक शिक्षक और छात्रों के बीच सीखने के अंतर को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। हमारा मानना है कि पारंपरिक शिक्षण और ऑनलाइन शिक्षा का एक अच्छा संयोजन छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार करेगा।
ऽ आप किस समस्या को हल कर रहे हैं और किसके लिए?
सैकड़ों छोटी-छोटी ट्यूशन और कोचिंग क्लासेस के आने से, छात्र बहुत सारी सामग्री, विभिन्न नोट्स और अध्ययन सामग्री से अभिभूत हैं। हम शैखिक संस्थानों को सुव्यवस्थित सामग्री प्रदान करते है, जो छात्र के अध्ययन में सहायक होती है।
स्कूलों के लिए, हम करियर परामर्श प्रदान करते हैं। सैकड़ों छात्रों के बैच, स्कूलों में अक्सर ना के बराबर या शायद ही एक करियर सलाहकार होता है। उच्च शिक्षा, करियर, नौकरियां, भविष्य इत्यादि के मामले में छात्रों को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। हम इस महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्कूलों की सहायता करते हैं। हम प्रतिस्पर्धी उद्योगों में स्नातक की नौकरियों की भर्ती और नियुक्तियों के मामले में कॉलेजों की मदद भी करते हैं।
ऽ कैरियर लिफ्ट की अनूठी अपील क्या है? आप खुद को कैसे अलग मानते हैं?
हम पूरी तरह से बी 2 बी हैंः हम केवल संस्थानों के साथ ही काम करते हैं, न कि छात्रों के साथ हमारा उद्देश्य सभी शैक्षिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी-सक्षम बनाना है। हम चाहते हैं कि शैक्षणिक क्षेत्र धीरे-धीरे एक तकनीकी प्रणाली की तरफ बढ़े, इसलिए हमने बी2 बी को अधिक व्यापक बदलाव लाने के लिए चुना है।
नितिल गुप्ता ने बताया कि कई शिक्षक टेक-सेवी नहीं हैं। यदि शिक्षक प्रौद्योगिकी को समझ नहीं पाएंगे, तो छात्रों को अच्छी सामग्री और गुणवत्ता की शिक्षा नहीं मिलेगी। इसके अलावा, अन्य ऑनलाइन शिक्षा कंपनियों के पास अनकन्वेन्शनल पोर्टल हैं जो ऑनलाइन शिक्षा तथा शिक्षकों द्वारा कक्षा में जो पढ़ाया जाता है उसके अंतर को कम करने में विफल रहते हैं। यह छात्रों को भ्रमित करता है तथा उनमें विरोध पैदा करता है। हमने इन समस्याओं को हल करने और शिक्षकों और छात्रों दोनों को सेवा देने के लिए हमारे उत्पादों को डिजाइन किया है। हम इन उत्पादों को स्कूल के निर्णय लेने वाले अधिकारी के माध्यम से प्रदान करते हैं।
ऽ आपको क्या/कौन प्रेरित करता है? आपका सफलता का मंत्र क्या है?
एक काउन्सलर के रूप में, मेरा मानना है कि ऊपरी प्रेरणा जल्द ही खत्म हो जाती है। किसी व्यक्ति को एक संतुष्ट जीवन जीने के लिए खुद को अंदर से प्रेरित होना चाहिए। हाँ! मैं प्रतिदिन पठन करता हूं, अनुसंधान करता हूं और हाल के रूझानों से खुद को अप-टू-डेट रखता हूं ताकि मैं उद्योग को बेहतर ढंग से समझ सकूं और बेहतर होने के लिए क्या किया जा सकता है यह जान सकूं।
सफलता का मेरा मंत्र टीम है – जिनके साथ मिलकर हम अधिक परिणामों को प्राप्त कर सकते है।
ऽ अन्य स्टार्ट-अप / संस्थापकों को आप क्या सुझाव देंगे?
नितिल गुप्ता ने कहते हैं कि अपने ग्राहकों की वर्तमान समस्याओं को हल करने के साथ-साथ उनकी भविष्य की समस्याओं/जरूरतों का भी आकलन करें और उसके लिए भी काम करें। लेकिन व्यवसाय शुरु करने के लिए यह आवश्यक नहीं कि आप नई समस्याओं को ही हल करें। अपने चारों ओर देखें, कई सेगमेंट होगें जहाँ ग्राहक समान परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इन सेगमेंट की समान समस्या का समाधान करें।

ऽ शिक्षा अथवा प्रोद्योगिकी से संबंधित किसी विषय पर आप ज़ोर देना चाहते हैं?
हमें भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमारे ज्यादातर कॉलेज दुनिया के शीर्ष कॉलेजों में शामिल नहीं हैं। इसका कारण बहुत साफ है – भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्रों की जिंदगी में सीखने और मूल्यवान बनाने की कोई धारणा ही नहीं है। शैक्षिक संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा ने शिक्षा के ध्यान को प्रभावित किया है। वे छात्रों के विकास के लिए एक अनुकूल माहौल नहीं बना रहे हैं जिससे वे महसूस कर सकें कि शिक्षा जानने, व सीखने से संबंधित है, कमाई से नहीं। मुझे अभी भी विश्वास है कि हमें एक लंबा सफर तय करना है जिससे भविष्य में स्थिति बेहतर हो सके।

ऽ आपकी राय में, एड-टेक के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
नितिल गुप्ता के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण चुनौती जो मेरे ध्यान में आ रही है वह है स्मार्टफोन के लिए शैक्षिक एप्लिकेशन्स को लाना। स्मार्टफोन एड-टेक के लिए एक अच्छी संपत्ति हो सकता है, लेकिन यह पूंजीकरण अपनी चुनौतियों के साथ आता है। फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया एप्लिकेशन छात्रों के लिए प्रमुख परिवर्तन हैं, और यह सुनिश्चति करना मुश्किल हो जाता है कि क्या कि छात्र अपने फोन पर शैक्षणिक ऐप्स पर ध्यान देते हैं या नहीं।
एक और चुनौती शिक्षकों को यह आश्वस्त करना है कि प्रौद्योगिकी उनके लिए खतरा नहीं है, बल्कि एक सहायक उपकरण है। प्राध्यापकों, विशेष रूप से स्कूल शिक्षकों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रौद्योगिकी उनका स्थान नहीं लगी बल्कि उनके लिए सहायक साबित होगी।

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