दृष्टिहीन वृद्ध सुंदरलाल की आँख में आई रोशनी

डॉ. रूपाली जैन की वरदानी चिकित्सा से श्रीहरि वृद्धाश्रम के पूर्ण दृष्टिहीन वृद्ध सुंदरलाल की आँख में आई रोशनी
डॉ. रूपाली का नेत्र निकेतन चिकित्सालय अत्याधुनिक मषीनों तथा उपकरणों से है सम्पन्न, जिनसें बिना इंजेक्षन, टांका, पट्टी होता है ऑपरेषन

विदिषा-24 अक्टूबर 2018/श्रीहरि वृद्धाश्रम में निवासरत पूर्णरूपेण अंधत्व को प्राप्त वयोवृद्ध सुन्दरलाल लोधी के लिए नेत्र चिकित्सा विषेषज्ञ डॉ. रूपाली जैन तथा उनका नेत्र निकेतन चिकित्सालय वरदान सिद्ध हुआ है। डॉ. रूपाली तथा उनकी पैरामेडिकल टीम ने इस सर्वथा दृष्टिहीन वृद्ध की अति सफल चिकित्सा कर उसकी आँख की रोषनी लौटा दी है। इस वृद्ध को एक आँख तो जन्मजात नहीं थी, दूसरी आँख की रोषनी भी वर्षों पहले चली जाने से वह पूर्णरूपेण दृष्टिहीन हो गया था। श्रीहरि वृद्धाश्रम की संचालक श्रीमती इन्दिरा शर्मा तथा वेदप्रकाष शर्मा द्वारा पहल किए जाने पर डॉ. रूपाली जैन ने यह चमत्कार कर दिखाया है।
स्मरणीय है कि श्रीहरिवृद्धाश्रम में कोई 2 माह पूर्व कोई अज्ञात व्यक्ति इस वृद्ध सुंदरलाल लोधी को पूर्ण लावारिश स्थिति में आश्रम के मुख्य द्वार पर शायद ये समझा कर छोड़ गया था कि ये ही उसका अंतिम घर है, यहां उसका जीवन आराम से कट जाएगा। जब वृद्ध सुंदरलाल आश्रम आया तो उसको दोनों आँखों से बिल्कुल नही दिखाई देता था। वह हर दैनिक कार्य के लिए दूसरों का ही मोहताज रहा। इस वृद्ध ने आश्रम संचालक श्रीमती इन्दिरा-वेदप्रकाष को बताया था कि वह रेल से कटकर अपनी जीवन लीला समाप्त करना चाहता था और वह आत्महत्या के लिए मन ही मन प्लानिंग भी कर रहा था, क्योंकि उसके लिए अब दुनिया मे कुछ नहीं बचा था। उसने शर्मा दम्पत्ति को बताया था कि परिवार में सबकुछ नष्ट होने के बाद, कुछ समय तक विदिशा रेल्वे स्टेशन पर भीख माँगकर अपना गुजारा किया। फिर स्टेशन परिसर में स्थित श्री दुर्गा मंदिर के बाहर खुले आसमान के नीचे रहे। इसके बाद किसी ने उसे विदिशा बस स्टैंड छोड़ दिया, जंहा से कोई ऑटो चालक उसे स्थानीय सिविल लाइंस स्थित श्रीहरि वृद्धाश्रम के बाहर छोड़कर चला गया था।
श्रीहरि वृद्धाश्रम समिति की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा शर्मा ने जब इस वृद्ध को आश्रम के बाहर बैठे देखा तो उन्हें वृद्धजनों के अपने परिवार श्रीहरि वृद्धाश्रम में सम्मान सहित सम्मिलित करते हुए प्रवेश दे दिया और आश्रम की सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री केशर जंहा और अन्य स्टाफ सहित स्वस्थ वृद्धजनों की टीम बनाकर दृष्टिहीन दादा की पूरी मदद करने की दिनचर्या निर्धारित कर दी। कोई इनके कपड़े धोता तो कोई इन्हें नहलाने और दैनिक क्रियाओं को कराने की जिम्मेदारी निभा रहा था। कोई खाना खिलाकर उनके बर्तन साफ कर रहा था। वृद्ध आश्रम के सभी लोग इस पीड़ित दृष्टिहीन सुंदरलाल की यथासंभव सहायता करने में जुट गए। शर्मा दम्पत्ति ने एक दिन जब सुंदरलाल लोधी से विस्तार से चर्चा की तो पता चला कि उनकी एक आँख तो है ही नहीं दूसरी आँख से भी कई वर्षों पूर्व दिखना बंद हो गया है। सकारात्मक सोच और हमेशा असंभव को संभव करने में दक्ष संस्था अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा शर्मा और वेदप्रकाश शर्मा द्वारा वृद्ध आश्रम की सहयोगी 4 साइट नेत्र निकेतन चिकित्सालय की संचालिका डॉ रुपाली जैन से चर्चा की और अन्य वृद्धजनों की तरह सुंदर दादा की आंखों का भी परीक्षण करने का निवेदन किया। डॉ रुपाली जैन ने भी हमेशा की तरह सुंदरलाल दादा को तुरन्त अपने नेत्र निकेतन बुलाया, उनकी सोनोग्राफी सहित अन्य जांचे कराई। प्रखर डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक डॉ.पीयूष श्रीवास्तव ने उनकी निशुल्क सोनोग्राफी की। तमाम जाँचों को देख कर डॉ रुपाली जैन ने बताया कि इनकी आंखों का ऑपरेशन तो संभव है और रोशनी आने की 50 प्रषित संभावना है। क्योंकि इनकी आंँख का मोतियाबिंद पूरी तरह पकने के बाद, आंखों की पुतली पर मांस की परत चढ़ गई है, जिसका आपरेशन बहुत ही जटिल है। ऐसे जटिल ऑपरेशन को अमूमन जिला मुख्यालय पर नहीं किया जाता। इस प्रकार के केस महानगरों के उच्च श्रेणी नेत्र चिकित्सालय में ही रेफर किए जाते हैं परंतु सेवा और समर्पण के साथ पीड़ित मानवता की पुख्ता सेवा का जज्बा रखने वाली नगर की युवा नेत्र चिकित्सक डॉक्टर रूपाली जैन ने इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया और 10 दिन के अंतराल में अपने चिकित्सालय में लगी अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से पूरे विश्वास के साथ ईश्वर को साक्षी मानकर निशुल्क लगातार दो ऑपरेशन किए। दूसरे ऑपरेशन के होते ही जो सुंदर लाल लोधी बैसाखी के सहारे यानी दूसरों के सहारे श्रीहरि वृद्ध आश्रम से डॉ रुपाली जैन के पास तक पहुंचे गए थे। वे अब बिना किसी सहारे के नेत्र निकेतन से बाहर आने में सक्षम हो गए थे। अब सुंदर लाल लोधी बगैर किसी सहारे के वृद्ध आश्रम में अपने सारे काम स्वयं करने में सक्षम हो गए हैं। वे अपनी रोशनी आने पर ईश्वर को लाख-लाख धन्यवाद देते हुए श्रीहरि वृद्ध आश्रम प्रबंधन और डॉ रुपाली जैन के लिए दिन-रात दुआएं दे रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं पढ़ा लिखा हूं लेकिन आंखों से नहीं दिखने के कारण मजबूरी में हर जगह अपना अंगूठा लगाता था। आश्रम में अभी प्रवेश हेतु मैंने अंगूठा लगाया था, लेकिन अब मैं हस्ताक्षर करूंगा। चेहरे से आत्मविश्वास और खुशी से सराबोर सुंदर लाल लोधी को वृद्धाश्रम के सहारे मिली सुरक्षा और सम्मान के साथ आंखों में रोशनी मिलना किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम प्रतीत नहीं होता। संस्था अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा वेद प्रकाश शर्मा ने बताया की सह्रदय, के साथ डॉ. रुपाली जैन हकीकत में कुशल नेत्र सर्जन हैं। इससे पूर्व भी वे अब तक निशुल्क रूप से आश्रम के 10 वृद्धजनों के जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक कर चुकी हैं। अब सुंदर बाबा भी डॉ रुपाली जैन की अनुकरणीय मदद से इस सुंदर संसार को देख खुश हो रहे हैं। उनके जीवन से घोर पीड़ा देने वाला अंधेरा हमेशा के लिए दूर हो गया है। इन्हें अब हर दिन रोशनी का महापर्व दिवाली ही दिखाई दे रहा है। डॉ रुपाली जैन का आश्रम परिवार बहुत शुक्रगुजार हैं। वे जीवन को मानवता सेवा के पुण्य कार्य मे लगा रही हैं। वे धन्य हैं। उनके आभार प्रदर्षन के लिए शब्द नहीं है।

वेदप्रकाश शर्मा

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