ग्लेनमार्क ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया

राजस्थान के सांभर झील पर सबसे लंबे वायु प्रदूषण जागरूकता रिबन बनाकर
वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में ग्लेनमार्क ने 6,500 हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के वायु प्रदूषण विरोधी संदेशों के साथ 6 किलो मीटर लम्बा रिबन बनाया

जयपुर, भारत, 10 दिसंबर, 2018: रिसर्च आधारित दवा निर्माण करने वाली कंपनी, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने कल राजस्थान के संभार झील के पास वायु प्रदूषण जागरूकता के लिए सबसे लम्बे रिबन का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया। 6 किमी लम्बे रिबन को कपड़ों की सिलाई करके बनाया गया था जिसमें पूरे भारत के लगभग 6,500 हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से प्राप्त वायु प्रदूषण विरोधी संदेश शामिल थे।
ग्लेनमार्क की इस पहल को डॉक्टरों द्वारा संचालित एक अभियान, आई-कैन (कफ अवेयरनेस नेटवर्क) ने अपना समर्थन दिया था। यह अभियान बढ़ते वायु प्रदूषण के बारे में और इसे कम करने के तरीकों पर जागरूकता पैदा करने के लिए काम करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमानों के अनुसार, विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं। 2017 के नवंबर में, भारत की राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता अमेरिकी दूतावास वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार 1,000 पॉइंट तक पहुंच गई थी। डब्ल्यूएचओ पार्टिकुलेट मैटर 2.5 के 25 से ऊपर के स्तर को असुरक्षित मानता है। बर्कले अर्थ साइंस रिसर्च ग्रुप के अनुसार, पार्टिकुले मैटर मे 2.5 के साथ 950 से 1000 के बीच हवा में सांस लेना लगभग 44 सिगरेट पीने के बराबर माना जाता है।
ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स के सुजेश वासुदेवन, प्रेसिडेंट, इंडिया फॉर्मूलेशंस, मिडिल-ईस्ट और अफ्रीका ने कहा कि ष्भारत में वायु प्रदूषण चिंता का प्रमुख विषय बन गया है। हमारे कई शहरों में वायु की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है। एक जिम्मेदार संगठन के रूप में, ग्लेनमार्क निरंतर विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इस गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रयास के माध्यम से, हम वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ाने और न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य की, बल्कि पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता पर भी जोर डालना चाहते हैं।ष्

तेजी से खराब होने वाली वायु गुणवत्ता गंभीर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या बनती जा रही है, जिससे बीमार पड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। वायु प्रदूषण से स्थायी खांसी, सांस की समस्याओं के साथ-साथ वयस्कों और बच्चों दोनों में, आंखों की जलन की दिक्कतें पैदा हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट श्एयर पॉल्यूशन एंड चाइल्ड हेल्थ रू प्रेसक्राइबिंग क्लीन एयरश् बताती है कि 2016 में विषाक्त वायु के कारण भारत में 5 वर्ष से कम आयु के 1.25 लाख बच्चे मारे गए थे। 3
डॉ. पुनीत सक्सेना, सीनीयर प्रोफेसर, मेडिसिन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल ने बताया कि ष्श्वसन रोग से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक वायु प्रदूषण है।
प्रदूषित हवा में सांस लेने से संक्रमण का जोखिम बढ़ता है और इससे एलर्जी पैदा करता है जो हमारे शरीर की रक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है और शरीर की रक्षा प्रणाली के कमजोर होने से खांसी, अस्थमा, छींक आना और ब्रोंकाइटिस जैसे सांस के रोगों का कारण बनती है। इस पहल के जरिये, हम स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना चाहते हैं और इसके असर को कम करने के उपायों को लागू करना चाहते हैं।ष्

ग्लेनमार्क मूल्यांकन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड चयनकर्ताध्काउंसिल के पास सफल प्रयास के सभी आवश्यक दस्तावेज और साक्ष्य भेज रहा रहा है। बनाये गये रिबन के कपड़े से बैग बनाने के लिए ग्लेनमार्क एनजीओ के साथ भी भागीदारी करेगा और इन बैग्स को वायु प्रदूषण को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स में वितरित करेगा।

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