पूर्व जन्म के पाप से हरी चर्चा न सोहाय : आराधना चतुर्वेदी

ईश्वर की भक्ति प्राप्त करनी है तो मस्तिष्क में स्थित बुराइयों को त्यागना होगा
मुजफ्फरपुर/बंदरा : शिवशक्ति धाम बरियारपुर मोहनपुर में धर्मादा कमेटी के तत्वावधान में चल रही शिवमहापुराण कथा के षष्ठम दिवस बाल पर बाल ब्यास आराधना चतुर्वेदी ने भोलेनाथ के विभिन्न रूपों(12 ज्योतिर्लिंगों) की कथा सुनाई। उन्होंने शिव जी द्वारा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र प्राप्त करने की कथा, शिवरात्रि के पावन पर्व का महत्व, शिव जी की अष्ट मूर्तियों का वर्णन, भैरवावतार इत्यादि की कथा सुनाई । कथा से पूर्व सुरेंद्र शर्मा, अजय चौधरी, धर्मेंद्र महतो, शिवजी ठाकुर, अबधेश राय, मंदिर के पुजारी रहे रामचंद्र गिरी, उमानंदन ठाकुर ने संयुक्त रूप से आराधना चतुर्वेदी को अंगवस्त्र, पाग एवं माल्यर्पण कर सम्मानित किया। वही धर्मादा कमिटी द्वारा पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया।

ज्योतिर्लिंगों की कथा को सुनाते हुए कथावाचिका बाल व्यास आराधना शास्त्री जी ने कहा कि भगवान भक्त के भक्ति की वशीभूत होते हैं। भक्तिपूर्वक बुलाने पर वो कहीं भी आ जाते हैं, ईश्वर की दृष्टि में अमीर- गरीब, जाति, सुंदरता, विद्या, पराक्रम इत्यादि की कोई महत्ता नहीं है। बस भाव ग्रहण करते हैं और प्रसन्न हो कर भक्त को सुख प्रदान करते हैं। शिव की भक्ति करते हुए लंकाधिपति रावण ने अपने मस्तक को काट – काट कर शिवलिंग पर चढ़ाना प्रारंभ किया जिसके परिणाम स्वरूप शिव वरदान देते हैं अर्थात यदि हमें भी ईश्वर की भक्ति प्राप्त करनी है तो मस्तिष्क में स्थित बुराइयों को त्यागना होगा तभी सही अर्थों में भगवान की भक्ति हमारे हृदय में प्रवेश करेगी।

विशेष रूप से वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में कथा द्वारा उन्होंने ने बताया कि रावण ने भगवान भोलेनाथ जी को प्रसन्न करने के लिए स्वयं ही अपने 9 सिरों को काट शिव लिंग पर चढाया। शिव महापुराण कथा श्रवण व शिव भक्ति के लिए पहले अहंकार दूर करना होगा क्योंकि जब तक अहंकार होता है तब तक भोलेनाथ प्रसन्न नहीं होते इस प्रकार आदि देव महादेव को भोलेनाथ कहा जाता है। मौके पर धर्मादा कमिटी के अध्यक्ष विमल कुमार सिंह, उपाध्यक्ष कौशल किशोर ठाकुर, मुख्य यजमान विमलेश ठाकुर एवं रंजू देवी, सीताराम सिंह, गंधीर झा, नारायण गिरी, मुकेश कुमार सिंह, मुनचुन ठाकुर, रमेश ठाकुर इत्यादि लोग मौजूद थे।

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