भारत के सबसे बड़े कला एवं सांस्कृतिक केन्द्र– किरण नादर म्यूज़ियम ऑफ आर्ट्स की नई इमारत के मॉडल का हुआ अनावरण

नई दिल्ली, मई 2023: किरण नादर म्यूज़ियम ऑफ आर्ट ने अपने आगामी परिसर के वास्तुशिल्प मॉडल का अनावरण किया। इस नए परिसर को सुप्रसिद्ध घाना-ब्रिटिश वास्तुकार सर डेविड एडजय ने स्थानीय वास्तुकार एस.घोष एंड एसोसिएट्स के साथ मिलकर डिज़ाइन किया है। दिल्ली में साल 2026 में अनावृत होने वाला यह परिसर भारत का सबसे बड़े सांस्कृतिक केन्द्र बनने जा रहा है। इस शानदार खुशी के मौके पर नई दिल्ली में म्यूज़ियम के मॉडल को केन्द्र में रखते हुए नई प्रदर्शनी आरंभ किया गया।
प्रदर्शनी के केन्द्र में म्यूज़ियम में स्थित इस नए मॉडल के इर्द-गिर्द म्यूज़ियम के संग्रह में शामिल लगभग दशकों के समय-सीमा में समाहित कलाकार तैयब मेहता (1925-2009), ज़रीना (1937-2020) और नसरीन मोहम्मदी (1937-1990) जैसे नामचीन कलाकारों का काम प्रदर्शनी में शामिल हैं। इसके साथ समकालीन फिल्म निर्माता अमित दत्ता की फिल्म टच एआईआर (2023) भी प्रदशर्नी का प्रमुख हिस्सा हैं।

केएनएमए की स्थापना 2010 में भारत के प्रतिष्ठित कला संग्राहकों में से एक किरण नादर द्वारा की गई थी। इसकी स्थापना भारत एवं उपमहाद्वीप के आधुनिक और समकालीन कला को प्रदर्शित करने वाले एक अग्रणी निजी संग्रहालय के रूप में की गई थी। वर्तमान में इसकी दो शाखाएं हैं जो नई दिल्ली और एवं उत्तर-प्रदेश के नोएडा में स्थित हैं। आगामी परिसर जो 100,000 वर्ग मीटर से अधिक में फैला हुआ है इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास, दिल्ली में राष्ट्रीय राजमार्ग (NH8) पर स्थित होगा।
किरण नादर म्यूज़ियम ऑफ आर्ट में लगभग 10,000 से अधिक आधुनिक और समकालीन कलात्मक कृतियों का संग्रह शामिल है जो देश के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास पर आधारित है। केएनएमए के नए परिसर में बदलती प्रदर्शनियों के साथ स्थायी प्रदर्शनी और पर्फॉर्मेंस शामिल हैं जो दृश्य कला, संगीत, नृत्य और रंगमंच के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच का काम करेगी और इस संग्रह को देखने के लिए कहीं अधिक सक्षम करेगी।
‘मेमनोनिक’ (यादों को संजोने वाला) विषय पर आधारित यह प्रदर्शनी दृश्यों, शब्दों, चलायमान छवियों एवं वास्तुकला (मॉडल) के द्वारा स्मृतियों की पड़ताल एवं उससे जुड़े सवालों का जवाब देती प्रतीत होती है। यह ‘संग्रहालय और स्मृति’ के बीच के संबंध को दर्शाते हुए उनके सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही यह अतीत और वर्तमान के बीच समय की गति को निलंबित करते हुए, विभाजन (1947 में भारत और पाकिस्तान की) के विषय को आधार बनाकर उस सीमा-रेखा की ओर इशारा करती है जिसने समय और उसमें हमारे होने की भावना के बीच रेखा खींच दी है।

कलाकार तैयब मेहता की कल्पना एवं आड़ी-तिरछी रेखाओं के उपयोग के ज़रिए व्यक्त होने वाली उनकी सशक्त चित्रात्मकता ऐतिहासिक बोझ एवं उसकी अनकही पीड़ा की आंतरिकता को व्यक्त करते हुए कभी बिखरती हुई तो कभी समेटती हुई प्रतीत होती है। वहीं, कालाकार ज़रीना द्वारा घर, स्मृतियों और विस्थापन पर काव्यात्मक चिंतन एक स्त्री और एक खानाबदोश के बिंदु से स्मृतियों और किसी जगह से सम्बद्ध होने के स्वर को हमारे सामने लाने का काम करती है। इसके साथ ही फ़िल्म निर्माता अमित दत्ता की फ़िल्म, नसरीन मोहम्मदी के व्यक्तिगत नोट्स और उनकी अद्वितीय विलक्षण दृष्टि का आह्वान करती है। नंगे रेखा के सौंदर्यशास्त्र पर चित्रण करती है नसरीन की आध्यात्मिक यात्रा ज्ञात और अज्ञात के बीच की जगहों के लिए भौतिक सीमाओं या बाधाओं को दूर करती है।

किरण नादर, संस्थापक/अध्यक्ष केएनएमए का कहना है, “हम नए भवन के मॉडल का अनावरण करने को लेकर बहुत उत्साहित हैं। केएनएमए के इस नए परिसर की कल्पना एक विश्व स्तरीय सांस्कृतिक केंद्र, एक अत्याधुनिक इमारत और एक ऐसे सांस्कृतिक पावरहाउस के रूप में की गई है जो सभी के लिए उपलब्ध हो। यह सांस्कृतिक खोज, संस्कृतियों के मिलन और विविधताओं से भरपूर वार्तालापों के लिए सर्वश्रेष्ठ जगह होगी। साथ ही एक ऐसी जगह जहां हर तरह के दर्शकों का समावेश एवं जुड़ाव होगा। केएनएमए के केन्द्र में लोग और समाज शामिल हैं। इसकी बुनियाद में कला को लेकर लोगों के बीच की खाई को पाटते हुए, सांस्कृतिक अतीत के खजाने को संरक्षित करने और रचनात्मक कलाकारों एवं विचारकों की एक युवा पीढ़ी को पोषित करने की धारणा शामिल है।

सर डेविड एडजय, वास्तुकार: “केएनएमए, भारत के लोगों के साथ-साथ व्यापक वैश्विक कला परिदृश्य के लिए एक नई सांस्कृतिक पेशकश के ज़रिए समकालीन भारतीय कला के उदय को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। दिल्ली- जो दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है और जिसका इतिहास 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक फैला हुआ है- यहां इस म्युज़ियम का होना इसे एक गतिशीलता प्रदान करता है। साथ ही एक जीवित सांस्कृतिक शक्ति के रूप में नया संदर्भ भी देता है। इस प्रकार, शहर के भीतर एक विशिष्ट स्थान पर इसकी उपस्थिति नई इमारत के रूप, लय और परिदृश्य को प्रभावित करेगा।

रूबिना करोडे, निदेशक और मुख्य क्यूरेटर, (KNMA): “आगामी नया परिसर केएनएमए नए क्षितिज की ओर अग्रसर करेगा और यह इसके लिए नए अध्याय की शुरुआत करने और नए मौकों की तलाश करने का काम करेगा। नई वास्तुकला के साथ, हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि कैसे विभाजन के बाद के उपमहाद्वीप में स्मृतियां और इतिहास के सवाल ने कलात्मक रूचि के लिए महत्वपूर्ण सवालों के लिए जगह बनाई है। साथ ही समय और स्थान की महीन रेखाओं के बीच यांत्रिकी और स्मरण की संरचनाओं को उजागर किया है।“
आज ही वास्तुकला के एक मॉडल का अनावरण ला बिएननेल डी वेनेज़िया के18वीं अंतर्राष्ट्रीय वास्तुकला प्रदर्शनी में क्यूरेटर द्वारा तैयार किए गए स्पेशल प्रोजेक्ट के रूप में भी किया गया। इस प्रदर्शनी को प्रसिद्ध अकादमिक एवं वास्तुकार लेस्ली लोक्को द्वारा क्यूरेट किया गया है। 18वीं अंतर्राष्ट्रीय वास्तुकला प्रदर्शनी जिसका शीर्षक है ‘द लेबोरेटरी ऑफ द फ्यूचर है’ 20 मई से 26 नवंबर 2023 तक जिआर्डिनी, आर्सेनल और फोर्ट मार्गेरा में दर्शकों के लिए उपलब्ध होगी। इससे पहले 18 और 19 मई 2023 को यह प्री-ओपनिंग में उपलब्ध होगी।
केएनएमए (KNMA) तैयब मेहता फाउंडेशन, ज़रीना के परिवार से जुड़े इमरान चिश्ती, द स्टेट ऑफ़ नसरीन मोहम्मदी और दीपक तलवार का उनके सहयोग और समर्थन के लिए धन्यवाद देती है।

दर्शक इस मॉडल को 19 से 28 मई 2023 तक केएनएमए साकेत में देख सकते हैं।

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