किरण बेदी से भी दूर हुए अन्ना

संपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे अन्ना हजारे अपनी टीम को लेकर भी लगातार व्यापक बदलाव कर रहे हैं। इस बार उन्होंने देश की पहली महिला आइपीएस किरण बेदी से ही नहीं बल्कि दिल्ली की अपनी पूरी टीम से किनारा कर लिया है। बेदी ने भी कहा है कि अब अन्ना के आंदोलन को मदद देने वाले सीधे उनके गांव में संपर्क करें। यहां तक कि उन्होंने अन्ना के नाम पर बनाया गया फेसबुक पेज भी उन्हें लौटाने की पेशकश की है।

अन्ना हजारे ने सिर्फ अपने आंदोलन का नाम नहीं बदला है, बल्कि लोगों को भी बदल दिया है। उनके एक बेहद करीबी व्यक्ति कहते हैं कि लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उन्होंने सारी चीजें अपनी निगरानी में ही रखने का फैसला किया है। इसलिए अब आंदोलन का सारा काम उनके गांव रालेगण सिद्धी से चल रहा है। यहां तक कि ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ [आइएसी] का अब अन्ना से कोई संबंध नहीं होगा। दक्षिणी दिल्ली में किरण बेदी के नेतृत्व में चलने वाला आइएसी का महंगा दफ्तर भी बंद कर दिया गया है।

इस बारे में पूछे जाने पर किरण बेदी कहती हैं कि ‘यह अन्ना की इच्छा है। वह बहुत से लोगों से मिलते हैं और उनका मशविरा लेते हैं। बेदी कहती हैं कि उन्होंने इस नाम को रजिस्टर तो नहीं करवाया था, मगर इस नाम से बैंक खाता जरूर खुलवाया था। पिछले दिनों उन्होंने लोगों से अपील की थी कि अन्ना के आंदोलन के लिए धन की जरूरत है और लोग इसके लिए आइएसी को चंदा भेजें। इस बारे पूछने पर वह कहती हैं कि अब यह अपील जारी नहीं रख रहीं।

अन्ना ने शुक्रवार को दिल्ली आकर प्रेस कांफ्रेंस की, मगर किरण बेदी सहित अपने किसी पुराने सहयोगी को साथ नहीं लिया। इस दौरान सिर्फ पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह उनके साथ थे। अन्ना की नई टीम से जुड़े राजेश झा कहते हैं कि पटना की रैली भी पूरी तरह जनरल वीके सिंह ने ही आयोजित की थी। हमारे प्रयास से तो गांधी मैदान की बुकिंग तक नहीं हो पा रही थी। उधर, अन्ना ने पिछले साल मिले जिंदल पुरस्कार की राशि से अपने गांव में एक व्यवस्थित दफ्तर शुरू कर दिया है।

बेदी कहती हैं कि 12 जनवरी को जैसे ही रालेगण में नए दफ्तर की घोषणा हुई, उसी समय यह दफ्तर बंद कर दिया गया। इसी तरह फेसबुक पर अन्ना हजारे के नाम पर चल रहे इंडिया अगेंस्ट करप्शन के पेज के बारे में वह कहती हैं कि रालेगण में उनके दफ्तर में सारी सुविधाएं मौजूद हैं। इसलिए इसे भी अब वहीं से चलाए जाने का अधिकार दे दिया जाना चाहिए। बेदी के सुझाव के बारे में पूछे जाने पर यह पेज संभाल रहे आइएसी कार्यकर्ता शिवेंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि उनके पेज का अन्ना के लिए पूरा समर्थन रहा है और रहेगा। अभी भी रालेगण की टीम के एक सदस्य को एडमिन अधिकार है।

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