तिवारी का ये रूप देखकर हैरान हूँ: उज्ज्वला शर्मा

कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी की डीएनए रिपोर्ट में रोहित शेखर के उनके पुत्र होने की बात आने के बाद, रोहित की माँ उज्ज्वला शर्मा ने कहा है कि वे तिवारी को शालीन व्यक्ति मानती थीं लेकिन उनका जो रूप सामने आया है वो उसे देखकर हैरान हैं.

वर्ष 2008 में रोहित शेखर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका डालते हुए दावा किया था कि नारायण दत्त तिवारी ही उनके पिता हैं.

लेकिन नारायण दत्त तिवारी ना सिर्फ रोहित शेखर के इस दावे का लगातार खंडन करते रहे हैं, बल्कि कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर अपने खून का नमूना देने से भी बचते रहे.

तिवारी की इन कोशिशों के बावजूद उन्हें अदालत की सख्ती के आगे झुकना पड़ा और 29 मई 2012 को पुलिस की मदद से उनके खून का सैंपल ले लिया गया. डीएनए रिपोर्ट का नतीजा 27 जुलाई को सबके सामने आ गया.

इतिहास

दरअसल ये पूरा मामला करीब 40 साल पुराना है. तब रोहित शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा युवा कांग्रेस की महिला इंकाई की संयुक्त सचिव हुआ करती थीं और तभी उनकी एनडी तिवारी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ीं.

उज्ज्वला शर्मा ने बीबीसी को बताया, ”उस समय एनडी तिवारी युवा कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे. उस समय उनका व्यक्तिव एक बेहद ही अच्छे और शालीन व्यक्ति का था. आज उनका जो रुप मेरे सामने है उसे देखकर तो मैं हैरान हूँ.”

उज्ज्वला आगे कहती हैं, ”आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो सोच में पड़ जाती हूं कि कैसे उनके जैसे सरल व्यक्ति ने मेरे साथ ये भयावह हरकत की. उनका ये रुप उनके चरित्र को उजागर करता है.”

उज्ज्वला शर्मा पूर्व रक्षा राज्यमंत्री शेरसिंह की बेटी हैं, उनकी शादी डीपी शर्मा से हुई थी लेकिन बाद में दोनों अलग रहने लगे.

दूसरी तरफ नारायण दत्त तिवारी की अपनी कोई संतान नहीं थी.

उज्ज्वला कहती हैं, ”मैंने तिवारी जी से कहा था कि जब तक मैं सामाजिक रुप से उनकी पत्नी का दर्जा नहीं पा लेतीं तब तक उनके बच्चे की मां बनना सही नहीं होगा लेकिन तिवारी नहीं माने.”

‘अधिकारों’ की लड़ाई

उज्ज्वला का दावा है कि उस समय एनडी तिवारी ने उन्हें समझाते हुए कहा था, ”देखिए उज्ज्वला जी, इस समय आपकी उम्र 34 की हो गई है और मेरी 53 की. फिर हमें पता नहीं कि हमें हमारे जीवनसाथी से कब छुटकारा मिले या वे कब हमारे रिश्ते के लिए तैयार हों. ऐसे में हमारे पास समय कम है इसलिए हमें देर नहीं करनी चाहिए. संबंधों को तो हम बाद में भी परिभाषित कर लेंगे.”

उसके बाद 1978 में उज्ज्वला शर्मा ने रोहित शेखर को जन्म दिया और कुछ ही दिनों के बाद नारायण दत्त तिवारी की पत्नी का निधन हो गया. उज्ज्वला कहती हैं कि इसके बावजूद नारायण दत्त तिवारी रोहित को अपनाने से मना करते रहे.

अब भी एनडी तिवारी ने इसे अपनी प्रतिष्ठा और निजता के अधिकार का मामला बताते हुए इसे तूल ना देने की बात कही है.

नारायण दत्त तिवारी दो बार उत्तरप्रदेश और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. इसके अलावा वे केंद्र में मंत्री और आंध्रप्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं.

कई विश्लेषक इसे एक प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ एक मां और बेटे के अधिकारों की लड़ाई के रूप में देख रहे हैं.

विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय समाज और राजनीति में ऐसे कई उदाहरण हैं लेकिन वे सभी अदालत तक नहीं पहुंच पाते हैं.

 

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