नई दिल्ली। गहरी नींद में सोए नगर निगम के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी तो यह तय है कि दिल्ली में भी मुंबई जैसी इमारत गिरने की घटना को कोई नहीं रोक सकेगा। यह जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि पांच मंजिला इमारत दो महीने में कैसे बनकर तैयार हो सकती है।
ऐसा किया जाना मौत को दावत देना है, मगर यह उस शहर में धड़ल्ले से हो रहा है जिसे देश की राजधानी का तमगा हासिल है। जहां कई तरह की एजेंसियां नजर रखती हैं। भूकंप के खतरे के मुहाने पर बैठे इस दिल्ली शहर में अवैध निर्माण पर नजर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मॉनीटरिंग कमेटी तक बनाई है। मगर इन सब को धता बताकर धड़ल्ले से रात दिन काम चल रहा है।
दक्षिणी जोन के बारे में निगम आयुक्त को विभिन्न आरडब्ल्यूए ने शिकायत की है कि निगम के ही अभियंता बिल्डरों को संरक्षण दे रहे हैं। नगर निगम दक्षिणी के अतिरिक्त आयुक्त (इंजीनियरिंग) डीएन सिंह कहते हैं कि उन्हें अवैध निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि दक्षिणी दिल्ली के निगम आयुक्त ने शिकायतों पर जांच कराने की बात कही है।
वहीं दक्षिणी जोन के निगम उपायुक्त अशोक कुमार अवैध निर्माण पर कुछ और ही तर्क देते हैं। उनका तर्क है कि हमने बहुत कार्रवाई की है। मगर पुलिस का सहयोग नहीं मिलने से कई बार कार्रवाई नहीं कर पाते।
दक्षिणी जोन की स्थिति पर नजर डालें तो यह उन जोन में शामिल है जहां अवैध निर्माण पर सख्ती रखने के लिए भवन विभाग में दो दो अधिशासी अभियंता लगाए गए हैं। मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात। पर्यावरण एन्क्लेव निवासी व स्थानीय आरडब्ल्यूए सचिव आरिफ जमाल कहते हैं कि कार्रवाई कैसे होगी, जब दिन भर निगम के जोन कार्यालय में बिल्डरों का आवागमन रहता है।
दो माह में सात-सात शिकायतें भवन विभाग के दोनों अधिशासी अभियंताओं और निगम उपायुक्त को दी हैं। मगर कुछ नहीं हुआ। इसी तरह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कॉलोनी के निवासी व कॉलोनी की जन सुधार समिति के कोषाध्यक्ष डॉ. पीके जैन बताते हैं कि उनके मकान के बगल में बिल्डर ने दो माह में पांचमंजिला इमारत खड़ी कर दी है। वह लोग डरे हुए हैं कि किसी भी दिन इमारत गिर सकती है। दो माह में 9 शिकायतें दी हैं।
जैन बताते हैं कि वह जब दक्षिणी जोन के निगम कार्यालय में शिकायत करने पहुंचे तो बिल्डर पहले से ही निगम उपायुक्त कार्यालय में उनसे मिलने के लिए बैठा हुआ था। उसे देखकर चुपचाप घर लौट आए।