नई दिल्ली। पाकिस्तान जेल में 23 साल से बंद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत को लेकर पूरे देश में शोक के साथ-साथ आक्रोश की लहर फैली हुई है। जो लोग कल तक सरबजीत की रिहाई और स्वस्थ होने की दुआ मांग रहे थे आज वे पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी कर अपना विरोध जता रहे हैं। इस विरोध की गूंज संसद से सड़क तक सुनाई दे रही है। कुछ लोगों ने सड़क पर विरोध जताया तो कुछ लोगों ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर पाक के खिलाफ अपना गुस्सा निकाला। जम्मू-कश्मीर, लाहौर, अमृतसर, मुबंई और सरबजीत के गांव तरनतारन में सरबजीत को शहीद का दर्जा देने की मांग उठने लगी है।
-मिथुन लिखते हैं कि सरबजीत की जिन हालातों में मौत हुई है सरकार उनके लिए जीते जी तो कुछ नहीं कर पाई कम से कम उन्हें शहीद का दर्जा देके तो अपनी खामियां ढक सकती है।
-सिमी लिखती हैं कि राजनेताओं को तो शव अच्छे लगते हैं, ताकि वे उसपर राजनीति दांव पेंच खेल सकें।
-अरविंद लिखते हैं कि जब 1984 के सिख विरोधी दंगों में दोषी पाए जाने वाले दिल्ली के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को कोर्ट ने बरी कर दिया तब एक बार न्याय का अपमान हुआ था और आज एक बार फिर जब सरबजीत की पाकिस्तान में मौत हो गई तब दोबारा न्याय को ठुकराया गया है।
-दीप्ति लिखती हैं कि जैसे दिल्ली गैंगरेप मामले में भी एक तरह से सरकार की हार हुई थी और आज एक बार फिर सरकार हार गई है।
-सुषमा लिखती हैं कि आखिर प्रधानमंत्री ने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी। लेकिन कहा क्या, महज दो शब्द कि वे सरबजीत के परिवार के साथ हैं।
-हिना लिखती हैं कि अब तो सरकार को जाग जाना चाहिए। और कितनी देर होगी। अब सब खत्म हो रहा है। मासूम और बेगुनाहों को सजा मिलती रहती है और सरकार पाक के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाती है।
-दिव्या लिखती हैं कि इस पूरे मामले में पाक सरकार की नहीं बल्कि भारत सरकार की गलती है। भारत सरकार ने शुरू से ही इस मामले में लापरवाही बरती है।