आकाशवाणी कहीं आत्मा की आवाज तो नहीं?

हम आकाशवाणी को रेडियो के जरिए सुनी जाने वाली आवाज के रूप में जानते हैं, सुन चुके हैं, लेकिन शास्त्रों-पुराणों में जिस आकाशवाणी का जिक्र आता है, वह हम में से किसी ने नहीं सुनी। न ही हमारी अग्रज पीढ़ी ने। इतिहास में ऐसे अनेक प्रसंग हैं, जिनमें परम सत्ता ने आकाश के जरिए संदेश दिए हैं, उनके विस्तार में जाए बिना हम उस जिज्ञासा पर ध्यान केन्द्रित करते हैं कि आकाशवाणी होती क्या है? क्या वाकई आकाश भी बोल सकता है? क्या परम सत्ता आकाश के माध्यम से बोलती है या बोल सकती है? सवाल कई हैं? आकाशवाणी किस भाषा में होती थी? क्या इंग्लैंड में अंग्रेजी में और भारत में हिंदी में होती होगी? क्या भारत में भी अलग-अलग प्रांतों में भिन्न-भिन्न भाषाओं में होती थी? क्या आकाशवाणी सभी को सुनाई देती थी, या फिर ईश्वर को जिसको संदेश देना होता था, उसी को सुनाई देती थी? ऐसा भी हो सकता है कि किसी जमाने में आकाशवाणी हुआ करती हो, मगर अब नहीं, इसलिए हमें उस पर यकीन नहीं होता।
वस्तुत: धरती पर मनुष्यों में जरूर भिन्न भागों में भिन्न भाषाएं विकसित हुईं, लेकिन आकाश की भी कोई भाषा होती होगी, इस पर सहसा यकीन नहीं होता। कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस प्रकार आत्मा की कोई आवाज नहीं होती, उसी प्रकार आकाश की भी कोई आवाज नहीं होती। आप कह सकते हैं कि आत्मा की भाषा होती है, लेकिन वस्तुत: वह आत्मा की नहीं, बल्कि हमारी बुद्धि में फीड हो रखी भाषा की विचार शृंखला होती है। हम विचार जरूर अपनी भाषा में करते हैं, मगर आत्मा की आवाज तो एक अनुभूति है। एक अहसास है। उसकी कोई भाषा नहीं होती। आपने महसूस किया होगा कि जब आप कोई गलत काम करने जा रहे होते हैं तो कम से कम एक बार भीतर से यह अहसास आता है कि वह हमें नहीं करना चाहिए। कई बार हमें ऐसा तीव्र आभास होता है कि हमारा अमुक काम होने वाला है, और वह हो जाता है। वह आत्मा की ही आवाज है। इसे अंग्रेजी में इन्ट्यूशन कहते हैं। इसी को हम छठी इंद्री कह सकते हैं। कभी-कभी इल्यूजन या भ्रम भी हो सकता है।
अब सवाल उठता है कि क्या आत्मा की आवाज भीतर से आती है या कहीं और से, अखिल ब्रह्मांड से। हमारी आत्मा में ऐसी शक्तियां मानी गई हैं, जो ब्रह्मांड के संकेतों को ग्रहण कर लेती हैं। अर्थात हमारी आत्मा ब्रह्मांड से कनेक्टेड है। यूं तो ब्रह्मांड में कई ध्वनियां विचरण कर रही हैं, मगर हमें सिर्फ वहीं सुनाई देती है अथवा अनुभूत होती है, जिसके लिए हमारी आत्मा की फ्रिक्वेंसी मेल खाती है।
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जिसका नाम आकाशवाणी दिया गया, वह अंतरात्मा में उठी अनुभूति होगी, जिसे परमात्मा की वाणी समझा गया होगा। चूंकि हमारी ऐसी धारणा है कि भगवान ऊपर अर्थात आकाश में रहता है, तभी तो हम उसे ऊपर वाला, नीली छतरी वाला के नाम से संबोधित करते हैं, इस कारण यह मान कर कि उसने कोई संदेश दिया होगा तो उसका नाम आकाशवाणी रख दिया गया।
आकाशवाणी अथवा ईश्वर का संदेश इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान से मेल खाता है। बताया जाता है कि कुरान वह पुस्तक है, जो हजरत मोहम्मद साहब पर किताब उतारी गई है। अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश सुनाया। वे पहले सबसे ऊपर क्षितिज पर प्रकट हुए और फिर वे मोहम्मद साहब के निकट आ गए। उनके संदेश को ही कुरान में संग्रहित किया गया है। मोहम्मद साहब ने पहाड़ों पर हिरा की गुफा में अपनी इबादत के दौरान अपना पहला प्रकाशन प्राप्त किया था। इसके बाद, उन्हें 23 वर्षों की अवधि में पूरा क़ुरआन का खुलासा प्राप्त हुआ। कुरान के अनुसार मोहम्मद साहब की पहली अनुभूति एक दृष्टि के साथ थी। कुरान शब्द का पहला जिक्र कुरान में ही मिलता है, जहां इसका अर्थ है – उसने पढ़ा या उसने उचारा। यहां उचारा शब्द आकाशवाणी शब्द से मेल खाता है। बेशक इसमें मोहम्मद साहब पर जो कुरान उतरी, वह सीधे आसमान से नहीं उतरी, इसके लिए फरिश्तो के सरदार को माध्यम बनाया है, मगर वह भी आसमान अर्थात आकाश से उतरे हैं।
इसी प्रकार ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक बाइबिल भी ईश्वरीय प्रेरणा से लिखी गई मानी जाती है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएं भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोल कर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए। अत: बाइबिल को ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है माना जाता है। यहां जिस ईश्वरीय प्रेरणा शब्द का उल्लेख है, वह आत्मा की ही तो आवाज है।
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ वेदों के बारे में कहा गया है कि वे अनेकानेक ऋषियों की अनुभूतियों व ज्ञान का संकलन है। अर्थात वे भी ईश्वरीय प्रेरणा से ही ऋषियों में उतरी हैं।
हम जिसे आकाशवाणी जानते हैं, वह वो है, जिसे हम रेडियो के जरिए सुनते हैं। प्रसंगवश यह जिक्र करना अनुचित नहीं होगा कि मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया में उस आकाशवाणी के बारे में जानकारी दी गई है, जिसे हम रेडियो के जरिए सुनते हैं। आकाशवाणी भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन संचालित सार्वजनिक क्षेत्र की रेडियो प्रसारण सेवा है। भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से हुई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा अर्थात इंडियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन रखा गया। बाद में 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया।

-तेजवानी गिरधर
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