मास्क ने छीन ली चेहरे की खूबसूरती, मुस्कुराहट और भाव-भंगिमा

कोरोना महामारी के चलते घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाना बेहद जरूरी है। राजस्थान में तो कानून तक बना कर भारी जुर्माने का प्रावधान कर दिया गया है। जान है तो जहान है के जुमले को अपनाते हुए हम अपनी सुरक्षा भी कर रहे हैं। मगर तस्वीर का दूसरा रुख है कि मास्क ने हमसे बहुत कुछ छीन लिया है।
मास्क ने सबसे बड़ा झटका ये दिया है कि इसने हमारी पहचान छीन ली है। कई बार मास्क में लोग आपको पहचान नहीं पाते और आपको मजबूरी में मास्क हटाना ही पड़ता है। मास्क लगा होने पर अलबत्ता आपके बोलने से भी सामने वाला आपकी आवाज से पहचान लेता है, मगर जब तक आप चुप होते हैं तो पहचानना कठिन हो जाता है। कहते हैं न कि जरा मुस्कुराइये, ताकि सामने वाले को तनिक खुशी मिल सके, मगर प्राणियों में केवल मानव को भगवान की दी हुई वह शानदार व अनुपम भेंट भी अब छिन चुकी है। आप चाह कर भी किसी को स्माइल भेंट नहीं कर सकते। मास्क ने उस पर आवरण लगा दिया है। एक तरह से चेहरे सपाट हो गए हैं। नीरस और भाव विहीन हो गए हैं। उनकी रौनक गायब है। चेहरे की कितनी अहमियत है, इसका अनुमान आप एक फिल्मी गीत की पंक्ति से लगा सकते हैं- दिल को देखो, चेहरा न देखों, चेहरे ने लााखों को लूटा।
कई लोगों को इस बात की भी तकलीफ है कि मास्क ने उनके चेहरे की खूबसूरती छीन ली है। विशेष रूप से महिलाओं को। असल में ये चेहरा ही तो है, जिसकी खूबसूरती पर आप इठलाते हैं। सजते-संवरते हैं। तरह-तरह की दाढ़ी-मूंछ रखते हैं। महिलाएं भांति-भांति की लिपस्टिक लगाती हैं। आखिरकार भगवान की ओर से दी गई सुंदरता का भी महत्व है। माना कि पुरुष सुंदरता के प्रति अपेक्षाकृत कम सजग होते हैं, मगर महिलाएं तो बहुत अधिक ध्यान रखती हैं। तनिक कम सुंदर महिलाएं भी ब्यूटी पॉर्लर जा कर सुंदर हो आती हैं। कई पुरुष आजकल केवल इसी कारण दस-पंद्रह दिन तक शेव नहीं करते कि वह बढ़ी हुई मास्क में ढ़क जाती है।
हम सब जानते हैं कि कुछ भी बोलने के लहजे के साथ चेहरे की भाव-भंगिमा भी भावनाओं की अभिव्यक्ति करती है। हालांकि आंखें भी बोलती हैं, आंखों ही आंखों में बहुत कुछ इशारे किए जा सकते हैं, मगर पूरे चेहरे की भाव-भंगिमा के साथ। अकेले आंखें उतना इजहार नहीं कर पातीं। आप किसी से बात करते हैं अथवा मीटिंग या सभा में भाषण देते हैं तो आपके चेहरे की रेखाएं ही आपके वक्तव्य में जान डालती हैं। लेकिन अब उसका सारा दारोमदार आवाज पर आ गया है। ध्वनि के उतार-चढ़ाव से ही उसमें सोल डाली जा सकती है।
कुल मिला कर कोरोना ने मानव जीवन से बहुत कुछ झपट लिया है।

-तेजवानी गिरधर
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