भरोसा घटने से नहीं बढ रही जनभागीदारी

प्रिया एवं लोगोलिंक की राज्यस्तरीय परिचर्चा में सामने आया निष्कर्ष
DSC04089जयपुर। पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों में बढते केन्द्रीयकरण के कारण अभिषासन की व्यवस्था में आम लोगों का विष्वास कम हो रहा है। इससे इन संस्थाओं में जन भागीदारी नहीं बढ पा रही है। यह नतीजा बुधवार को यहां झालाना स्थित विकास अध्ययन संस्थान के सभागार में प्रिया-पार्टिसिपेटरी रिसर्च इन एषिया एवं लोगोलिंक-लर्निंग इनिषिएटिव ऑन सिटीजन्स पार्टिसिपेषन इन लोकल गवर्नेन्स संस्था की ओर से स्थानीय लोकतांत्रिक अभिषासन में जन भागीदारी विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय परिचर्चा में निकलकर सामने आया।
राज्य आयोजना बोर्ड के पूर्व चेयरमैन प्रो वीएस व्यास ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि जनभागीदारी पर रोमांटिक रूप से सोचने की जरूरत नहीं है बल्कि इस पर व्यावहारिक रूप से विचार की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी के लिए हम क्या कर सकते हैं, इस पर सोचने की जरूरत है। प्रो व्यास ने इस बात पर चिंता जताई कि सरकार ने भी विकास की सारी जिम्मेदारी ले ली जबकि सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत है। इस कार्य में प्रेरकों को अपनी भूमिका निभानी होगी और कार्यों पर प्रभावी मॉनिटरिंग की आवष्यकता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि रोजमर्रा के कामों में प्रत्यक्ष भागीदारी का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने जन भागीदारी बढाने के लिए पारदर्षिता एवं जवाबदेही पर जोर दिया।
प्रिया के संस्थापक अध्यक्ष डॉ राजेष टंडन ने कहा कि पंचायतों व षहरी निकायों में जन सहभागिता को कार्यक्रमों, योजनाओं व नीतियों तक सीमित कर रहे हैं जो स्वाभाविक नहीं है। इस पर मोहल्ले व समाज की ओर से ध्यान दिलाने और सामंजस्य बैठाने की आवष्यकता है जिसमें स्वयंसेवी संगठन अहम भूमिका निभा सकते हैं। नागरिकों व सरकार के बीच बढता अविष्वास, जवाबदेही, पारदर्षिता एवं उत्तरदायित्व के अभाव पर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नीतिगत फैसलों में आमजन की भागीदारी होनी चाहिए।
डॉ टंडन ने बताया कि स्थानीय लोकतांत्रिक अभिषासन में भागीदारी के अधिकार पर वैष्विक प्रपत्र तैयार करने के लिए देष के विभिन्न राज्यों में कार्यषालाएं व परिचर्चाएं की गई। इसी श्रंखला में राजस्थान में यह परिचर्चा की जा रही है।
महापौर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि सरकारी कामकाज की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए टेक्नोलोजी का उपयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार को ई गवर्नेन्स को मजबूती से लागू करना चाहिए। महापौर ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी डर के कारण जिम्मेदारी से दूर हटती है। उन्होंने लोगों की इस मानसिकता पर कटाक्ष किया कि कुछ व्यक्ति नकारात्मक रवैया जल्दी अपना लेते हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि 73वें एवं 74वें संविधान संषोधन के बावजूद राज्य सरकारें इस पर अमल नहीं कर रही हैं।
प्रारंभ में प्रिया के निदेषक मनोज राय ने परिचर्चा के उददेष्यों की चर्चा करते हुए सहभागी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करने वाले दूसरे नेटवर्कों के नेतत्व में की गई अनेक महत्वपूर्ण पहल के बारे में बताया। प्रिया के निदेषक डॉ कौस्तुव कांती बंदोपाध्याय ने स्थानीय लोकतांत्रिक अभिषासन में भागीदार के अधिकार पर लोगोलिंक के अंतर्गत वैष्विक प्रपत्र के बारे में प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि अपने दस साल के अस्तित्व में इसने सामाजिक नियंत्रण की प्रक्रियाओं और सार्वजनिक संस्थानों में जनभागीदारी के एकत्रीकरण एवं उपलब्धियों में योगदान दिया है।
परिचर्चा में पूरे प्रदेष से आए प्रतिनिधियों में कटस के ओमप्रकाष, करौली के छैलबिहारी, दूसरा दषक के भरतलाल, हंगर प्रोजेक्ट की रंजीता वैष्णव, रेवदर सिरोही से सुनीता षर्मा, फागी से सुरेष सैनी, भरतपुर से गोपाल वर्मा, हनुमानगढ से एमपी चौधरी, अरावली से विद्या, कटस इंटरनेषनल के वरिष्ठ कार्यक्रम संयोजक ओमप्रकाष आर्य व मुक्तिधारा के रतन कात्यायनी सहित अनेक वक्ताओं ने विचार रखे।
परिचर्चा के दूसरे सत्र में राजस्थान के बदलते परिवेष में नागर समाज संगठनों के समक्ष संभावनाओं एवं चुनौतियों पर गहन चर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता प्रिया के अध्यक्ष डॉ राजेष टंडन ने की। प्रिया के कार्यक्रम अधिकारी धीरेन्द्र कुमार ने धन्यवाद जताया।
कल्याणसिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
94140 47744

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