ना गौर के नेताओं जरा गौर करो

जायल के नजदीक मातासुख परियोजना की जमीनी हकीकत
jayalपरियोजना में निकला कोयला तो सरकारी हो गया लेकिन यहाँ के बासिंदों को मिली है सिर्फ और सिर्फ कालिख ,कुछ सालों पहले जब मातासुख में लिग्नाइट निकलने की खबर मिली तो यहाँ के बासिंदे बहुत खुश हुए थे लेकिन यहाँ निकलने वाला कोयला तो सरकार के पास पहुँच गया लेकिन यहाँ के बासिंदों को कोयले की राख ही नसीब हुई है जबकि परियोजना के तहत सरकार को करोड़ों का फायदा हुआ है ..
बिंदुओं को पढ़कर जाने हकीकत –
1.खानों से निकला पानी जो पीने के लिए काम में लिया जा रहा है,करोड़ों खर्च करने के बावजूद भी सड़ांध मारने वाला है ..
2.पर्यावरण संरक्षण की शर्तों को दरकिनार कर कम्पनी ने यहाँ से लाखों टन कोयला निकाल लिया है जबकि नीति के अनुसार कम्पनी को क्षेत्र में हजारों पेड़ लगाने थे लेकिन ये सिर्फ कागजों में हुआ ….
3.मजदूरों की सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नही जबकि खान का एक हिस्सा चार बार ढह चूका है ….
4.जमीन गंवाने वाले मातासुख, फरड़ोद, कसनाऊ और इग्यार के क्षेत्र के किसानों के बच्चों को रोजगार दिलाना भी योजना में शामिल था मगर आज इस मुद्दे पर कोई बात भी नही कर रहा ….
5.कोयले की उड़ने वाली राख आस पास के बासिंदों के फेंफड़ों को काला बना रही है लेकिन ध्यान देने वाला कोई नही …
6.माइंस के लिए आयी दमकल और एम्बुलेंस में कर्मी तक नही ..
7.कम्पनी ने वादा किया था लेकिन क्षेत्र के लिए कोई कार्य नही करवाये जब आंदोलन हुआ तो आठ लाख रुपये मातासुख गांव को देकर हाथ जोड़ लिए .
Nagaur Ke Yuva की फेसबुक वाल से साभार

error: Content is protected !!