आईएएस कम होने से राजस्थान का विकास धीमा

राजस्थान 127 आईएएस अफसरों की कमी से जूझ रहा है। कमी के चलते प्रदेश का प्रशासनिक ढांचा गड़बड़ा गया है। आईएएस अफसरों की कमी के चलते अधिकांश आईएएस अफसरों के पास एक से अधिक विभागों का प्रभार है। इसके साथ ही आईपीएस, आईएफएस, आरएएस और अधीनस्थ सेवाओं के अधिकारियों की कमी भी राज्य के विकास की गति धीमी किए हुए है।

अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों कार्मिक विभाग से प्रशासनिक स्तर के अधिकारियों के काडर और खाली पदों की जानकारी मांगी। आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस और आरपीएस स्तर के अधिकारियों के साथ अधीनस्थ सेवाओं और अनुकंपा नियुक्ति वाले पदों पर दी नियुक्तियों की भी सूचना मांगी है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में आईएएस का काडर 296 है, इसमें 194 आईएएस कार्यरत है। इसमें से प्रतिनियुक्ति के अधिकारियों को निकाल दिया जाए तो राज्य में काम करने वालों की संख्या सिर्फ 143 रह जाती है। यहां 102 पद खाली हैं। राज्य के काडर में कम से कम 25 और अफसरों की जरूरत है। आईपीएस में काडर 205 का है, इसमें 43 पद खाली है। प्रदेश में आरएएस का 967 का काडर है और 884 कार्यरत हैं।

अधिकारियों की कमी से जूझते राज्य सरकार की ओर से केन्द्र सरकार को और अधिकारी देने के बारे में पत्र लिखने या प्रस्ताव भेजने की तैयारी की जा रही है। राज्य में अफसरों की कमी के चलते कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई आईएएस अफसरों के दो या तीन विभागों के अतिरिक्त प्रभार दिए हुए हैं।

जानकार सूत्र मुख्यमंत्री की ओर से मांगी गई सूचना को पदोन्नति में आरक्षण के मामले से भी जोड़कर देख रहे हैं। इसमें विभिन्न पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी के कार्यरत अधिकारियों के ब्यौरा भी मांगा है।

सूत्रों का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से अभी पदोन्नति में आरक्षण के संशोधन विधेयक को भले ही अभी रोक दिया हो, लेकिन इसके लिए कवायद जारी है। प्रदेश के काडर में आईएएस के 296 पद स्वीकृत है,लेकिन कार्यरत केवल 194 ही है, 102 पद पिछले एक दशक से खाली है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा से होने वाले प्रमोशन के 75 पद खाली हैं। इसका कारण पिछले दस साल से पदोन्नति नहीं होना है।

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