(राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर का मामला)
जयपुर, राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने न्यायालय के आदेश की पालना नहीं करने पर टी.टी. कुबई, क्षेत्राीय प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम, उत्तरी क्षेत्रा, नई दिल्ली से जवाब-तलब किया है कि क्यों नहीं उनके विरूद्ध अवमानना की कार्यवाही अमल में लाई जावे। उल्लेखनीय है कि पल्लवी अग्रवाल ने अपने अधिवक्ता श्री डी. पी. शर्मा के जरिये रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष इस आशय से प्रस्तुत की कि प्रार्थीया को पदस्थापना देने में भारत सरकार तथा भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थानान्तरण एवं पदस्थापन की नीति की अवहेलना की गई है। इस पर न्यायालय ने विपक्षी जीवन बीमा निगम को निर्देश दिया कि वे प्रार्थीया के मामले में स्थानान्तरण नीति के अनुसार प्रार्थीया का अभ्यावेदन का समुचित रूप से निस्तारण करे। प्रार्थीया ने एक विस्तृत अभ्यावेदन प्रस्तुत कर स्थानान्तरण नीति को भी संलग्न किया जिसके अनुसार महिला कर्मचारियों को सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे स्थान पर पदस्थापित करने का प्रावधान है जहॉं उनके पति या माता-पिता रहते हो परन्तु भारतीय जीवन बीमा निगम की तरफ से प्रार्थीया का जो अभ्यावेदन निस्तारित किया उसमें स्थानान्तरण नीति का न तो हवाला दिया और ना ही उसके अनुरूप अभ्यावेदन का निस्तारण किया जो कि माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना की श्रैैणी में आता है। प्रार्थीया ने विपक्षी जीवन बीमा निगम के पदाधिकारियों को न्याय प्राप्ति हेतु नोटिस भी दिया और निवेदन किया कि उनका कृत्य माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। अतः उक्त कृत्य के विरूद्ध प्रार्थीया ने अवमानना याचिका उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की जिस पर न्यायालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।