चाइल्ड मैरिज रोकने के लिए समाज बदले अपना सोच – सुमन शर्मा

स्टेट लेवल कंसल्टेशन वर्कशॉप संपन्न
DSC_0046जयपुर, 14 दिसंबर। चाइल्ड मैरिज रोकने के लिए समाज के सोच में बदलाव जरूरी है. ये किसी भी सरकार या प्रशासन के अकेले बूते होने वाला काम नहीं हैं. कई बार देखने में आता है कि पूरा गांव ही इस बाल विवाह को सफल बनाने में शामिल हो जाता है, तो फिर उसे रोकना वहां किसी भी एनजीओ या एजेंसी की पहुंच के बाहर की बात हो जाती है. साथ ही गरीबी, अशिक्षा और ज्यादा पैसे कमाने के लिए भी पेरेंट्स ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं ताकि वे ज्यादा श्रम कर सकें। ये कहना है राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा का. वे आज जयपुर में हेल्प एडुकेट चिल्ड्रन (एचईसी) और अवेयरनेस फॉर ट्रेनिंग, मोटिवेशन एंड एक्शन (आतमा) संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में यूनिसेफ इंडिया की ओर से आयोजित चाइल्ड मैरिज पर स्टेट लेवल कंसल्टेशन वर्कशॉप के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेशभर से आए कम्युनिटी वर्कर्स और एनजीओ रिप्रेजेन्टेटिव्स को सम्बोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि बाल विवाह जैसी कुरीति को समाप्त करने में सामूहिक प्रयास करने होंगे।

इसी सत्र की अध्यक्षता मानवाधिकार आयोग राजस्थान के रिटायर्ड चेयरपर्सन जस्टिस एनके जैन ने की. उन्होंने कहा कि हमें स्कूली शिक्षा और कार्य संस्कृति में भी सुधार करना होगा। स्कूलों में जीरो ऑवर में बच्चों के साथ गंभीर विषयों को साझा करने की पहल करनी होगी। साथ ही हमें अपनी नैतिक जिम्मेदारी भी समझनी होगी।
यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर संजय कुमार निराला ने कहा कि हमें बिना किसी भेदभाव के बेटियों की परवरिश भी बेटों की मानिंद करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में किसी गहरी भ्रान्ती के चलते माता-पिता लड़कियों का विवाह जल्द से जल्द कर देते हैं ताकि वे उन्हें सुरक्षित बना सके, जबकि आंकड़े बताते है कि पिछले वर्षों में विवाहित महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं ज्यादा बढ़ीं हैं. उन्होंने इसके लिए एडवाइजरी बॉडी बनाने, लोगों में विश्वास कायम करने और सतत निगरानी की भी आवश्यकता पर बल दिया। श्री निराला ने बताया कि हालात बदले हैं और अब चाइल्ड लेबर और चाइल्ड मैरिज के मुद्दों पर दूर दराज के थानों में एफ़आईआर भी दर्ज हो रहीं हैं

वरिष्ठ पत्रकार राकेश गोस्वामी ने मीडिया से अपील की है कि वो सामाजिक जड़ता और चाइल्ड मैरिज जैसी बुराई के खिलाफ आवाज उठाने वाले सोशल वर्कर और विशेषतः बालिकाओं को रोल मॉडल के रूप में स्थापित करे, जिससे वो इस दौर से गुजर रहे पीड़ितों को हौसला देने का काम कर सके.

हेल्प एडुकेट चिल्ड्रन (एचईसी) के फाउंडर और वर्कशॉप के कोऑर्डिनेटर अमित चौधरी ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि किस तरह बच्चे चाइल्ड मैरिज के बारे में सोचते हैं. वे वक़्त से पहले किस तरह परिपक्व हो रहे हैं. उन्हें उन हालातों से निकालने के लिए टेक्स्ट बुक्स के साथ स्किल देने की भी जरूरत है. अशिक्षा, गरीबी के दुश्चक्रों में फंसी कम उम्र की बालिकाएं अपना आत्मविश्वास खो रही हैं. अपने शरीरके के हनन के साथ कम उम्र में मां बन बनने के कारण वे मुख्य धारा से कट जाती हैं और उन्हें जबरन श्रम का शिकार होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को वे अपने निष्कर्षों को एक रिपोर्ट के माध्यम से सौंपेंगे, ताकि इस पर प्रभावी काम हो सके.

इस अवसर पर प्रयत्न के मलय कुमार, चाइल्ड राइट्स डिपार्टमेंट की रीना शर्मा, चाइल्ड लाइन प्रोजेक्ट से जुड़ी डॉ. ज्योत्सना राजवंशी ने भी इस सामयिक चुनौती पर अपने विचार व्यक्त किये। अवेयरनेस फॉर ट्रेनिंग, मोटिवेशन एंड एक्शन के आत्माराम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
-कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया प्रभारी
-डॉ. संजय मिश्र
सह मीडिया प्रभारी
9829558069

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