देशभर में तेजी से बन रहा है राजस्थान अच्छी षिक्षा का केन्द्र

राजस्थान की तर्ज पर देषभर में मनरेगा के तहत विद्यालयों में बनेंगे खेल मैदान
शैक्षिक गुणवत्ता के लिए 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा प्रारंभ करने की होगी कार्यवाही
-केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर
राजस्थान में शैक्षिक गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता
-शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. देवनानी

zzजयपुर, 14 नवम्बर। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाष जावडेकर ने राजस्थान में मनरेगा के तहत विद्यालय खेल मैदान निर्माण के हुए कार्यों को अभूतूर्व बताते हुए कहा कि राजस्थान की तर्ज पर देषभर में इस योजना को लागू किया जाएगा। उन्होंने राजस्थान को अच्छी षिक्षा का केन्द्र बनने के लिए बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि अधिकांष राज्यों की यह मांग रही है कि शैक्षिक गुणवत्ता के लिए 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा प्रारंभ की जाए। इसलिए हमने यह निर्णय लिया है कि अगले संसद सत्र में 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा प्रारंभ करने का अधिकार राज्यों को देने के लिए कार्यवाही की जाएगी।
‘लर्निंग आउटकम’ से षिक्षा में गुणवत्ता वृद्धि के होंगे प्रयास
श्री जावडेकर आज यहां खासाकोठी में षिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार सभी राज्यों को साथ लेकर चलने की नीति पर कार्य हर रही है। उद्देष्य यही है कि देषभर में अच्छी षिक्षा का प्रसार हो। उन्होंने कहा कि देषभर में प्राथमिक षिक्षा के अंतर्गत ‘लर्निंग आउटकम’ के प्रावधानों को नियमों में रखकर बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे यह पता चल सकेगा कि पहली कक्षा, दूसरी कक्षा और तीसरी कक्षा आदि के बाद विद्यार्थियों को क्या-क्या अपेक्षित पढ़ाई करवाई जानी जरूरी है। उन्होंने कहा केन्द्र सरकार का यह लक्ष्य है कि सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता में तेजी से वृद्धि हो।
राजस्थान में शैक्षिक गुणवत्ता के लिए हुए ठोस प्रयासों को सराहा
मानव संसाधन विकास मंत्री ने षिक्षा अधिकारियों को निर्देष भी दिए कि वे अच्छी षिक्षा देने के लिए षिक्षकों को प्रोत्साहित करने की नीति पर कार्य करें। उन्होंने षिक्षा में नवाचार अपनाते हुए बच्चों में सृजनात्मक क्षमता बढ़ाने जाने पर भी जोर दिया। उन्हांेने कहा कि अब तक 22 राज्यों में षिक्षा क्षेत्र में किए गए प्रयासों की उन्होंने वहां जाकर समीक्षा की है और यह सुखद है कि राजस्थान में शैक्षिक गुणवत्ता के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। उन्होंने राज्य में बीएड काॅलेजों के अभ्यर्थियों को सरकारी विद्यालयों में ही षिक्षण करवाने के निर्णय को भी अनुकरणीय बताया तथा कहा कि राजस्थान बीमारू से विकसित राज्यों की श्रेणी में इसीलिए आ गया है कि यहां षिक्षा क्षेत्र में सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए कार्य किया गया है। उन्होंने प्रदेष में भामाषाहों के सहयोग से विद्यालयों में 50 करोड़ रूपये की राषि से विकास कार्य करवाए जाने को भी महत्वपूर्ण बताया।
श्री जावडेकर ने कहा कि बच्चों को सीखाने के लिए विद्यालयांे जो कार्य हो रहा है, उसकी नियमित मोनिटरिंग की जाए। षिक्षकों, छात्र-छात्राओं से षिक्षण के संबंध मंे नियमित फीडबैक भी लिया जाए। यदि कही ंअतिरिक्त प्रयासों की आवष्यकता है तो उसे भी लागू करने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों द्वारा किए गए षिक्षा क्षेत्र के अच्छे प्रयासों को भी देखे जाने, विद्यालयों में साफ-सफाई और स्वच्छता पर भी ध्यान देने आदि पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि देष का भविष्य षिक्षा पर ही है। एक समय था जब हमारे यहां नालंदा और तक्षषिला जैसे विष्वविद्यालय विष्वभर में विख्यात थे। उस समय यदि शैक्षिक रेंकिंग होती तो विष्व के पहले 10 देषों में भारत का स्थान होता। नालंदा पुस्तकालय को एक माह तक इसीलिए जलाया गया कि देष की उस संस्कृति को नष्ट किया जा सके। परन्तु यह सुखद है कि फिर से देष में अच्छी षिक्षा के प्रयास प्रारंभ हुए हैं। हमें शैक्षिक स्तर में वृद्धि के लिए सतत प्रयास करने चाहिए।
राजस्थान में 15 लाख की नामांकन वृद्धि, रिक्तियां 10 प्रतिषत रहना महत्वपूर्ण
बैठक में राजस्थान में पंचायत स्तर पर उत्कृष्ट, आदर्ष विद्यालयों की स्थापना, राजकीय विद्यालयों में 15 लाख विद्यार्थियों के नामांकन वृद्धि, षिक्षकों की बड़ी संख्या में पदोन्नति और पारदर्षिता से पदस्थापन, अपनी बेटी योजना और छात्राओं को प्रोत्साहन दिए जाने के हुए कार्यों, षिक्षक प्रषिक्षण के अपनाए गए तरीकों और षिक्षकों की रिक्तियां मात्र 10 प्रतिषत ही रहने के लिए उठाए गए कदमों की विषेष रूप से सराहना की तथा कहा कि षिक्षा क्षेत्र के यह ऐसे कदम है जिन्हें दूसरे राज्यों को भी अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिस प्रदेष में प्राथमिक विद्यालय बेहतर होंगे वहीं विष्वविद्यालयों की स्थिति अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में बच्चों की जिज्ञासाएं जगे, जिज्ञासा को प्रोत्साहन मिले और इससे बच्चों की सृजनषीलता में वृद्धि हो-इसके लिए सभी स्तरों पर प्रयास हों। उन्होंने षिक्षा को समाज के विकास की प्रमुख आधारषिला बताते हुए डिजिटल लर्निंग को भी सभी स्तरोें पर प्रोत्साहित किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अच्छी षिक्षा के अवसर विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि शैक्षिक शोध और अनुसंधान पर सतत षिक्षण संस्थानों में कार्य हो।
शैक्षिक गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता -प्रो. देवनानी
षिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में शैक्षिक उन्नयन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पहली कक्षा में प्रवेष की आयु 6 से घटाकर 5 वर्ष करने का निर्णय जहां किया गया है वहीं षिक्षक-अभिभावक बैठकों को प्रारंभ कर शैक्षिक गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता मे ंरखा गया है।
प्रो. देवनानी ने कहा कि राज्य में 13 हजार 500 विद्यालयों में संस्कृत के पद सृजित किए गए हैं। भामाषाहों के सहयोग से राज्य के विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर भी विषेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि षिक्षा में नवाचार अपनाते हुए पाठ्यक्रमों में गुणात्मक परिवर्तन के लिए भी प्रयास किए गए हैं।
षिक्षा विभाग की उपलब्धियाॅ का प्रस्तुतिकरण
इससे पहले षिक्षा विभाग के शासन सचिव श्री नरेषपाल गंगवार ने राजस्थान में विभिन्न स्तरों पर क्रियान्वित षिक्षा योजनाओं और उनसे शैक्षिक गुणवत्ता के लिए किए गए प्रयासों और आए परिणामों पर विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री अपनी बेटी योजना के तहत छात्राओं को लाभान्वित करने तथा मनरेगा से विद्यालयों में खेल मैदानों के निर्माण, स्वामी विवेकानंद, उत्कृष्ट और आदर्ष विद्यालयों की स्थापना आदि के बारे में भी विस्तार से बताया।
संस्कृत षिक्षा के प्रमुख शासन सचिव श्री संजय दीक्षित ने संस्कृत षिक्षा के बारे में अवगत कराया। सर्व षिक्षा अभियान के आयुक्त श्री जोगाराम ने प्राथमिक स्तर पर षिक्षा क्षेत्र में हुए गुणवत्ता प्रयासों के बारे में बताया।

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