मानसिक रोग विशेषज्ञ उवाच – मन चंगा तो सब चंगा

संबोधित करते डॉ के के वर्मा
संबोधित करते डॉ के के वर्मा
बीकानेर 8/10/17। मानसिक स्वास्थ्य तथा नशामुक्ति विभाग में विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के दूसरे दिन 08.10.2017 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा घोषित इस वर्ष की मूल विषय वस्तु “कार्यक्षेत्र पर मानसिक स्वास्थ्य” को ध्यान रखते हुए मिडिया कर्मियो में मिडिया के क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य तथा समस्याओं पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साथ ही मरीजों, उनके रिश्तेदारों तथा आमजन के लिए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के बारे में चर्चा की गई।
मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए विभाग अध्यक्ष डॉ के.के. वर्मा ने वर्तमान में विद्यार्थियों तथा युवाओं में मानसिक तनाव का स्तर काफी चिंता जनक बताया। उन्होंने कहा – प्रतियोगिता के इस माहौल में माता-पिता की अपने बच्चों के प्रति अपेक्षाए लगातार बढ रही हैं। कई बार बच्चे इन बढती हुई अपेक्षाओं पर किसी कारणवश खरे नहीं उतर पाते जिसकी वजह से वे निराशा, अवसाद आदि से घिर जाते है और कई बार आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है। डॉ वर्मा ने सुझाव में बताया कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो इसके लिए हमें बच्चों की योग्यता और उनकी कार्यकुशलता को अच्छे से समझने की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें समाज तथा परिवार द्वारा एक ऐसा सकारात्मक माहौल उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है जिससे युवा अपनी योग्यता की उच्चतम संभावना को प्राप्त कर देश के विकास में योगदान कर सकें।

मीडियाकर्मियों की समस्याओं का विश्लेषण :-

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए सहायक आचार्य डॉ अनन्त कुमार राठी ने बताया कि पत्रकारिता के क्षेत्र में लम्बे समय तक कार्य करना, कार्य का दबाव, परिवार को उचित समय न दे पाना, सूचना के लिए लम्बी यात्रा करना, दुर्घटना की संभावना, कम समय में न्यूज तैयार करना आदि अनेको ऐसे कारण है जिसकी वजह से मिडियाकर्मी मानसिक तनाव से घिर जाते है जिससे उनकी गुणवत्ता तथा उत्पादकता प्रभावित होती है।

ये हैं तनाव के लक्षण व बचाव के उपाय :-

डॉ के.के. वर्मा ने बताया कि अगर किसी मीडियाकर्मी में नींद की समस्या, घबराहट, बेचैनी, काम में मन ना लगना, खाने का मन ना करना या ज्यादा खाना खाना, व्यवहार में बदलाव, आलसीपन, शरीर का भारीपन आदि महसूस हो तो यह तनाव के लक्षण हो सकते हैं। इसे छुपाने की नहीं, बल्कि बताने की जरूरत है ताकि सही समय पर इनसे छुटकारा पाया जा सके। उन्होनें बताया कि अपने कार्य को सुनियोजित करना, परिवार के साथ गुणवतापूर्ण समय बिताना, शारीरिक व्यायाम को दैनिक दिनचर्या में शामिल करना, आपसी सहयोग तथा आपसी संवाद बढाना आदि को अपने जीवन में शामिल कर कार्यक्षेत्र पर मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है।

9/10/17 को पुलिस विभाग में होगा कार्यक्रम :-

मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह कार्यक्रमों की श्रृंखला में दिनांक 09.10.2017 को प्रातः 7ः30-8ः30 बजे पुलिसकर्मिया के साथ पुलिस विभाग में मानसिक स्वास्थ्य तथा समस्याओं पर चर्चा की जायेगी।

– मोहन थानवी

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