युवा लेखक आगे आकर करे सिंधी भाषा साहित्य का संवर्धन

बीकानेर 18 मई 2018 । वरिष्ठ रचनाकार डॉ शालिनी मूलचंदानी ने कहा है कि वर्तमान में बीकानेर व राजस्थान में सिंधी भाषा में युवाओं द्वारा किया जा रहा साहित्य-सृजन सराहनीय है। युवाओं का सिंधी साहित्य समकालीन अन्य भाषाओं के साहित्य के समकक्ष खड़ा है। उन्होंने इसके लिए अंग्रेजी और राजस्थानी में अनूदित कुछ रचनाओं का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि समाज के युवा आगे आकर सिंधी लोककलाओं, भाषा साहित्य और परंपराओं का संरक्षण एवं संवर्धन करें । सृजन में भारतीय युवा विश्वभर में अपनी महत्ता रखते हैं। शालिनी समकालीन सिंधी साहित्य और राजस्थान में सृजन विषय पर विश्वास वाचनालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रही थी। इस अवसर पर युवा लेखक डॉ चंदन तलरेजा ने अपनी मूल सिंधी कविता “बोली रखन्दी जिन्दह” ( भाषा/ संस्कृति मानवता को रखती है जीवित ) का अंग्रेजी व हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया जिसे सभी ने सराहा ।
वरिष्ठ व्यंग्य लेखक हासानंद मंगवानी ने कहा कि तलरेजा की सिंधी कविता के भाव यह प्रमाणित करते हैं कि बीकानेर में अन्य भाषाओं के समकक्ष समकालीन साहित्य रचा जा रहा है ।
वरिष्ठ लेखक देवी चंद खत्री ने वरिष्ठ साहित्यकार राधाकृष्ण चांदवानी के सिंधी साहित्य और उनके अनुवाद को युवा लेखकों को पढ़ने का आव्हान किया । इस अवसर पर शिक्षक सुरेश केसवानी ने युवा लेखकों को सिंधी व्याकरण को ध्यान में रखते हुए सृजन करने की सलाह दी।
अनिल डेम्बला ने कहा की सिंधी साहित्य में जो सृजन बीकानेर और राजस्थान में हो रहा है उसे राजस्थान सिंधी अकादमी की वार्षिक पत्रिका रिहान के अलावा कुछ पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने को पाठक उत्सुक रहते हैं किंतु सिंधी साहित्य के लिए अलग से एक मासिक पत्रिका निकालनी चाहिए ।
आरंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए मोहन थानवी ने कहा सिंधी भाषा में रचा जा रहा साहित्य किसी भी तरह से किसी भी अन्य भाषा साहित्य के मुकाबले कम नहीं है सिंधी साहित्य भी समकालीन भारतीय साहित्य के साथ खड़ा है। थानवी ने सिंधी सेंट्रल पंचायत के उपाध्यक्ष लालचंद तुलसियानी के संदेश का वाचन किया जिसमें तुलसियानी ने युवा सिंधी लेखकों की वर्कशाप लगाने का आह्वान किया है।
– मोहन थानवी

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