समकालीन और कालजयी हैं डाक विभाग की सेवाएं

( लिखें चिट्ठी, मिल सकता है 50,000 रुपए का पुरस्कार)

बीकानेर । करीब 165 वर्ष के होने जा रहे भारतीय डाक विभाग की सेवाएं न सिर्फ समकालीन हैं वरन् कालजयी भी हैं। डाक विभाग ने प्रयेक परिवर्तन काल का उपयोग अपनी सेवाओं को परी शोधित और विस्तारित करते हुए किया है इसका उदाहरण यही है कि आज के डिजिटल युग में भी डाक विभाग अपनी सेवाओं को ना सिर्फ मेट्रो सिटीज मारे देश के कोने-कोने में दूरस्थ गांवों तक पहुंचा रहा है। यह कहा डाक विभाग पश्चिम के डी पी एच मीणा ने। वे बीकानेर में वार्षिक निरीक्षण पर पहुंचे व इस अवसर पर आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थेहै। मुख्य डाकघर में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने विभाग के कार्य व उपलब्धियां गिनाई । उनका कहना था कि डाक विभाग का नेटवर्क गावों में दूर दूर तक फैला है। डाक विभाग में शुरू से ही सेवा की भावना प्रबल रही है। समय के साथ डाक में भी कार्यभार बढ़ रहा है। हम पासपोर्ट, आधार से लेकर अनेक सेवाओं का लाभ आमजन को दे रहे है। शहर में एक भवन में दो क्षेत्रों के डाकघर चलने, पासबुकें जारी न होने, डाकघरों में एजेंटों को तरजीह देने आदि कुछ समस्यायों का जिक्र करने पर उन्होंने अधिकारी को नियम विरुद्ध गतिविधियां रोकने, क्षेत्रवार डाक घर संचालित करने संबंधी निर्देश दिए। व्यवस्थागत कुछ और कमियां बताने पर उन्होंने स्वीकार किया व कहा कि कमियों को यथासंभव दूर किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने अनेक उपलब्धियों व योजनाओं के बारे में बताया व दावा किया कि 2019 में डाक विभाग अपने निखरे हुए रूप में नवभारत निर्माण में अपनी भूमिका प्रमुखता से निभाता मिलेगा। इस अवसर पर डाक अधीक्षक बी एल बुनकर भी मौजूद थे।

पत्र लिखो हजारों के पुरस्कार जीतो

डाक विभाग ने डिजिटल दौर के इस युग में बच्चों – बड़ों में पत्र लेखन रुचि जाग्रत करने के लिए ‘ढाई आखर’ अभियान के तहत ‘मेरे देश के नाम खत’ नाम से पत्र लेखन प्रतियोगिता शुरू की है। अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2018 तय की गई है। दो वर्गों की इस प्रतियोगिता के विजेताओं को 10 हजार से 50 हजार रुपए तक के पुरस्कार मिल सकते हैं। प्रतिभागी विद्यार्थियों को देश के नाम अंतर्देशीय पत्र या पन्ने पर चिट्ठी लिख कर लिफाफे में डाक विभाग के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल जयपुर के नाम से भेजना होगा । प्रतिभागी अधिक जानकारी के लिए शहर के प्रधान डाकघर या अधीक्षक डाकघर में संपर्क कर सकते हैं। यह योजना रवींद्रनाथ ठाकुर रचित ‘आमार देशेर माटी’ से प्रेरित है। राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर जूनियर व सीनियर दोनों वर्गों में अंतरदेशीय पत्र 500 शब्द में व लिफाफे में 1 हजार शब्दों की दो उप श्रेणियां रखी गई हैं। इसमें प्रांत स्तर पर 25 हजार व राष्ट्रीय स्तर पर 50 हजार रुपए का प्रथम पुरस्कार का प्रावधान है।
– ✍️ मोहन थानवी

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